Increase in Export of Basmati Rice
बासमती चावल के निर्यात में निरन्तर तीसरे वर्ष भी वृद्वि – डाॅ. ढींडसा
सिरसा 15 नवंबर 2023: अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ सिरसा के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा के अनुसार बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग और कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बासमती चावल का निर्यात लगातार तीसरे साल भी बढ़ रहा है। वैश्विक बाजारों में लंबे अनाज वाली प्रीमियम बासमती किस्मों की बढ़ती कीमतों से व्यापारियों और किसानों को पर्याप्त लाभ हुआ है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अनुसार 2021-22 और 2023-24 की अप्रैल-अगस्त अवधि के बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चावल के व्यापार में 71 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है, जिससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा (7,620.32 करोड़ रुपये के समकक्ष) प्राप्त हुई है । चालू वित्त वर्ष में बासमती का निर्यात 20.10 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया जिससे 18,310.35 करोड़ रुपये की आय हुई हैंै। इसकी तुलना में, 2022-23 की इसी अवधि में 18.75 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की शिपिंग के साथ 15,542.44 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात हुआ।
डाॅ. ढींडसा ने आगे बताया कि इसी तरह, 2021-22 में भारत ने 17.02 एलएमटी बासमती चावल का निर्यात किया, जिससे 10,690 करोड़. रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (एआईआरईए) ने वैश्विक चावल उत्पादन के लिए आशावादी रिपोर्ट दी है और कहा है कि इसके 54,225 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें भारत और ब्राजील का मुख्य योगदान होगा।
डाॅ. ढींडसा ने कहा कि बासमती चावल का निर्यात निरन्तर बढ़ रहा है और बढ़ती मांग के कारण व्यापारी अत्यधिक सक्रिय हैं। आशा है कि इस वर्ष मध्य पूर्वी देशों से ऑर्डरों में बढ़ोतरी के कारण पर्याप्त वृद्धि होगी, जो सकारात्मक बाजार गतिशीलता का संकेत है।
डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने आगे कहा कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख बासमती उत्पादक राज्यों में चल रही धान की फसल बासमती उत्पादकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक रही है, क्योंकि पारंपरिक बासमती की कीमतें 6000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हैं जबकि अन्य प्रीमियम किस्मों जैसे पूसा 1121,1718 और मूछल की कीमत लगभग 4500 रुपये प्रति क्विंटल है। 23 अक्टूबर को लंबे बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने के केंद्रीय सरकार के फैसले के बाद देश के उत्तरी हिस्सों में बासमती धान की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी हुई है। इससे बासमती चावल की खेती करने वाले किसानों में भारी उत्साह है।