Decrease in the number of girls
13 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में लड़कियों की संख्या में कमी – डाॅ. ढींडसा
सिरसा 29 जुलाई 2023:अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा के अनुसार देश के 13 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में लड़कियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। यही चलन हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में पिछले तीन सालों में भी पाया गया। यह हमारी विकरित मानसिकता का प्रमाण है, जहां लड़के के जन्म पर ढे़रों खुशियां मनाई जाती है और लड़कियों के जन्म को परिवार पर एक बोझ माना जाता है। प्रधानमंत्री द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा जो उन्होंने 2015 में पानीनत की धरा से दिया था केवल एक मजाक बनकर रह गया है।
डाॅ. ढींडसा ने कहा यद्यपि सरकार ने शुरू में लिंग भेद बताने वाले केन्द्रों पर सख्ती से वार किया परंतु समय के साथ यह अभियान भी सुस्त पड़ता जा रहा है। लड़कियों के जन्म के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण तथा लड़कों के लिए प्राथमिकता एक कटु सत्य है। कुछ वर्ष पूर्व जींद की एक महिला ने अपनी 9 महीनों की जुड़वां बेटियों को तकिए से सांस रोककर मार डाला था। इसी प्रकार पुणे (महाराष्ट्र) के एक पिता ने अपनी जुड़वां बेटियों को जहर पिलाकर मार दिया था और बाद में उनकी माता की भी हत्या कर दी थी। पत्नी की हत्या का सीधा सम्बन्ध कहीं न कहीं पुरुषों की पुत्रों के लिए प्राथमिकता दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पुरुषांे की यह मानसिकता न जाने कब बदलेगी?
डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने आगे कहा कि यदि हमने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे को वास्तविकता में सार्थक करना है तो हमें युद्धस्तर पर एक जागरूकता अभियान चलाना होगा और लोगों तथा समाज को एक स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा। डाॅ. ढींडसा के अनुसार इस अभियान में धर्मगुरु एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वह अपने प्रवचनों में बतायें कि बच्चों को भगवान की देन समझकर लड़के व लड़की में कोई भेदभाव न करें। यह भी सत्य है कि धर्मगुरुओं की बात जनमानस को भगवान के वचनों के समान लगती हैं। उन्होंने धर्मगुरुओं से अपील की कि वह अपने हर प्रवचन में ‘बेटा-बेटी एक समान’ पर बल दें ताकि समाज में ऐसी असमानता न पैदा हो कि लड़कियों की संख्या बहुत कम हो जाए। ऐसे समाज में प्रायः अपराध संख्या बढ़ने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं। अतः समाज, समाज-सुधारकों व धर्मगुरुओं को एक साथ मिलकर लोगों की मानसिकता में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए।