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Distribution of Rewari and Mungfali on the occasion of Lohri festival
  • By Davinder Sidhu
  • January 15, 2024
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Distribution of Rewari and Mungfali on the occasion of Lohri festival

रिश्तों की गर्माहट को जीवंत रखने का त्यौहार है लोहड़ी पर्व : प्रोफेसर ढींडसा

सिरसा 13 जनवरी, 2024 : जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा ने जेसीडी विद्यापीठ के सभी स्टाफ को लोहड़ी की बधाई प्रेषित की और कहा कि त्यौहार हमारी भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं ओर हमारी भारतीय सभ्यता की इनसे ही पहचान है। त्योहार हमें उम्मीद, उत्साह एवं हौंसला प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबी लोगों का यह त्यौहार गर्मजोशी के साथ एवं अनुशासित माहौल में मनाया जाना चाहिए ताकि इससे हमारे आपसी सम्बन्ध ओर बेहतर बन सकें।

डॉ. ढींडसा ने कहा कि प्रत्येक त्योहार की अपनी एक अहमियत है, गरिमा है इसलिए हमें उन्हें मनाने के साथ-साथ उनके पीछे निहित इतिहास को जानना चाहिए तथा उनसे शिक्षा भी हासिल करनी चाहिए। लोहड़ी का त्योहार सूर्यदेव और अग्नि को समर्पित है। इस त्योहार में लोग नई फसलो को लोग अग्निदेव को समर्पित करते हैं। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, अग्नि की देवी-देवताओं का भोग होता है। दरअसल, लोहड़ी त्योहार फसल पकने और अच्छी खेती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। सूर्य के प्रकाश व अन्य प्राकृतिक तत्वों से तैयार हुई फसल के उल्लास में लोग एकजुट होकर यह पर्व मनाते हैं। इस दिन सभी लोग इकट्ठा होकर सूर्य भगवान एवं अग्नि देव का पूजन कर उनका आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि लोहड़ी पर्व रिश्तों की गर्माहट को जीवंत रखने का त्यौहार है।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि हमें कई त्योहारों पर फिजूलखर्ची से बचना चाहिए और गरीबों की उन पैसों से दिल-खोलकर मदद करनी चाहिए ताकि उनका त्योहार भी अच्छा बन सके। इसी भावना को चरितार्थ करते हुए इस त्यौहार के उपलक्ष्य में डॉक्टर ढींडसा ने झुग्गी झोपड़िया में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को मूंगफली एवं रेवड़ियां बांटी। उन्होंनेे कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी पाश्चात्य सभ्यता को अपनाती जा रही है और हमारी पौराणिक संस्कृति से जुड़े तीज-त्यौहारों को भुलती जा रही हैं, जिससे हमारी संस्कृति का हनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोहड़ी का त्यौहार सम्पूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है, जिसे सभी लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस अवसर पर उनके साथ जेसीडी विद्यापीठ के जनसंपर्क निदेशक प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश भी उपस्थित थे।

डॉक्टर जय प्रकाश ने कहा कि लोहड़ी मनाने के पीछे कई प्रचलित कथाएं भी हैं। लोहड़ी का पर्व माता सती, भगवान श्रीकृष्ण व दुल्ला भट्टी से जुड़ा हुआ माना गया है। इस दिन दुल्ला भट्टी वाला गीत गाने की परंपरा है। लोहड़ी पर अग्नि जलाई जाती है। सभी लोग इस पवित्र अग्नि की पूजा करते हैं. घर परिवार व रिश्तेदार सब लोग मिलकर लोहड़ी जलाते हैं। अग्नि में नई फसल, रेवड़ी, तिल, मूंगफली, गुड़ आदि डाले जाते हैं। वहीं, मेहमानों को लोहड़ी से संबंधित वस्तुएं वितरित की जाती हैं और लोहड़ी की बधाइयां देते हैं।

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