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Dussehra Celebration
  • By Davinder Sidhu
  • October 26, 2023
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Dussehra Celebration

सदैव बुराई पर अच्छाई की ही होती है जीत: डॉक्टर ढींढसा ।
जेसीडी विद्यापीठ में धूमधाम से मनाया गया दशहरा पर्व।

सिरसा 25 अक्टूबर 2023: जेसीडी विद्यापीठ परिसर में न्याय की अन्याय पर, सदाचार की दुराचार पर, क्रोध पर दया, क्षमा की विजय, अज्ञान पर ज्ञान , धर्म की अधर्म पर अच्छाई की बुराई पर सत्य की असत्य पर और अंधकार पर उजाले के विजय का प्रतीक विजय दशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जेसीडी विद्यापीठ के जनसंपर्क निदेशक प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश थे । इस अवसर पर प्रोफेसर डॉक्टर राजेंद्र कुमार, डॉक्टर कंवलजीत कौर , डॉक्टर पूजा , राजपवन , कोमल के इलावा अन्य कई गणमान्य लोग विशेष रूप से मौजूद रहे । इसके पश्चात मुख्यातिथि व अन्य गणमान्य लोगों ने पूजन किया। तत्पश्चात मुख्यातिथि ने रावण के पुतले को अग्निभेंट किया । अधर्म पर धर्म की इस जीत को देखने के लिए कैंपस परिसर से भारी संख्या में भीड़ उमड़ी रही। उसके पश्चात सभी ने खान पान का आनंद उठाया। रावण का पुतला बनाने के इलावा अन्य सभी व्यवस्थाएं प्रवक्ता राजपवन के साथ नवजोत, गुनीत, प्रणव, पुष्कर, अगमजोत , विहान हुडा के इलावा अन्य बच्चों द्वारा की गई।

डॉक्टर ढींढसा ने कहा कि यह पर्व हिंदूओं का बहुत बड़ा पर्व है। उन्होंने कहा कि हर त्यौहार हमें शिक्षा देता है। हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक इस पर्व से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें बुराई से दूर रहना चाहिए।रावण सर्वज्ञानी था परंतु उसका अभिमान व सीता हरण के पाप ने उसके कुल का नाश कर दिया। । हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। उन्होंने कहा कि दरअसल हिन्दू धर्म में रावण को बुराई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। रावण अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता और बलशाली तो था ही, साथ ही वह महाज्ञानी भी था। यही कारण है कि रावण के वध के बाद भगवान श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उसके पास राजनीति की शिक्षा लेने के लिए भेजा था। इतना ज्ञानी होने के बावजूद रावण की सबसे बड़ी कमजोरी उसका अहंकार था। रावण अपने अहंकार के चलते ही गलतियां करता रहा और अपने अंत का कारण स्वयं बना। यही कारण है कि रावण को बुराई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि रावण को अपनी ताकत पर बहुत अहंकार था। वह विश्व विजेता बनना चाहता था। इसके लिए उसने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके अमर होने का वरदान मांगा था। लेकिन भगवान ब्रह्मा ने यह कहते हुए मना कर दिया कि मृत्यु तो तय है। इस पर रावण ने यह वरदान मांगा कि मेरी मृत्यु मनुष्य और वानर के सिवा किसी के हाथों न हो। रावण को अहंकार था कि मेरी शक्ति से तो देवता भी डरते हैं, ऐसे में सामान्य मनुष्य और वानर मेरा क्या बिगाड़ लेंगे। यही कारण है कि भगवान विष्णु ने रावण को मारने के लिए सामान्य मनुष्य के रूप में अवतार लिया। एक सामान्य मानव के रूप में जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया तो इससे यह सन्देश गया कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली ही क्यों न हो, अंत में जीत अच्छाई की ही होती है। यही कारण है कि हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण का पुतला दहन किया जाता है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथिगण को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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