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International Women’s Day Celebration at JCDV
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  • March 8, 2018
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International Women’s Day Celebration at JCDV

जेसीडी विद्यापीठ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
‘डर से ना डर, खुद को मजबूत करÓ स्लोगन के माध्यम से महिलाओं को बनाया गया सशक्त, अधिकारों से करवाया गया अवगत

सिरसा 8 मॉर्च, 2018 : जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित शिक्षण महाविद्यालय के सभागार में वीरवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण गु्रप के तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जेसीडी विद्यापीठ के प्रबंधन समन्वयक इंजी. आकाश चावला ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. जयप्रकाश एवं सिरसा दैनिक जागरण ब्यूरा चीफ श्री सुधीर आर्य द्वारा की गई। इस संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में हरियाणा की श्रेष्ठ महिला रचनाकार डॉ. शील कौशिक, हरियाणा पुलिस से श्रीमती कृष्णा यादव व शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त प्राचार्य श्रीमती उर्मिल मोंगा इत्यादि ने अपने विचारों के माध्यम से सभी को महिलाओं अधिकारों एवं उनकी शक्ति से अवगत करवाया। इस मौके पर जेसीडी विद्यापीठ के विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्यगणों के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। सभी अतिथियों एवं मुख्य वक्ताओं ने इस अवसर पर मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

सर्वप्रथम जेसीडी विद्यापीठ की महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. दीप्ति पंडिता ने मुख्यातिथि एवं अन्य अतिथियों का इस कार्यक्रम में पधारने पर स्वागत करते हुए बताया कि हमारा उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना एवं जेसीडी विद्यापीठ की छात्राओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक जानकारियों से अवगत करवाना है। वहीं ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से छात्राओं को एक ऐसा मंच प्रदान करना है ताकि उनके मन में उठने वाले अनेक किवदंतियों का निवारण करने में उन्हें कोई परेशानी ना हो। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों से अपनी अनेक समस्याओं को छात्राएं सांझा करके उनके बारे में अन्य महिलाओं को भी जागरूक कर सकती है। इसके पश्चात् श्रीमती अनिता स्नेही ने महिलाओं को समर्पित गीत के माध्यम से महिला एवं पुरूषों के मध्यस्त भेद को समाप्त करते हुए दोनों को एक-दूसरे का पूरक बताया तथा कहा कि पुरूष व महिला शिव-शक्ति हैं तथा महिला सशक्तिकरण के लिए दोनों की ही भूमिका अह्म है।

इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता डॉ. शील कौशिक ने इस कार्यक्रम के आयोजकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान में महिलाओं को समानता के अधिकार के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक है तथा महिलाएं पुरूषों के साथ किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा व प्रतिद्वंदता न रखें एवं मिल-जुलकर प्रयास करें। महिलाएं अपने मान-सम्मान एवं संस्कारों को सदैव स्मरण रखते हुए उनका ध्यान रखें तो उन्हें कामयाबी अवश्य मिलती है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण वास्तव में यही है कि वे अपनी इच्छा के अनुरूप कार्य करें तथा अपनी क्षमताओं को पहचानकर उनका सदुपयोग करें।

इस मौके पर श्रीमती कृष्णा यादव ने उपस्थित सभी छात्राओं को अपने संबोधन में उनके अधिकारों के बारे में तथा कानून सम्बन्धी जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि आज महिलाएं अपने आप को हर जगह असुरक्षित महसूस करती है, यहां तक कि वे घरेलु हिंसाओं का शिकार भी हो रही जिनसे वे जागरूक होकर ही छुटकारा पा सकती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर केवल एक परिवार ही नहीं अपितु दो परिवारों की जिम्मेवारी होती है इसलिए उन्हें मजबूत होना अति आवश्यक है तथा वे स्वयं को किसी भी क्षेत्र में खुद को कमजोर न समझें तथा गलत का डटकर मुकाबला करें। अगर महिलाएं स्वयं की आत्मरक्षा करना सीख लेंगी तो नित होने वाली घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

श्रीमती उर्मिल मोंगा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा एक अह्म हथियार है जिसके माध्यम से वे समाज में उपस्थित चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं जब शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनेगी तभी सशक्तिकरण का नारा चरितार्थ होगा। श्रीमती मोंगा ने कहा कि शिक्षा के सहारे ही आज महिलाएं उच्च पदों पर पहुंचकर अपने अधिकारों एवं शक्तियों को पहचान कर रही हैं तथा अन्य को जागरूक कर सकती हैं।

इस अवसर पर डॉ. जयप्रकाश एवं डॉ. प्रदीप स्नेही ने अपने संबोधन में आए हुए अतिथियों एवं वक्ताओं व अन्य का आभार प्रकट करते हुए कहा कि महिलाओं को जीवन के प्रति कभी भी निराश नहीं होना चाहिए तथा एकजुट होकर अन्याय के विरूद्ध आवाज उठानी चाहिए ताकि उसका अंत हो सके। वहीं उन्होंने कहा कि वर्तमान युग समानता का युग है तथा इसमें महिलाएं व पुरूष दोनों आपस में कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं, ऐसा जागरूकता के कारण ही संभव हो पाया है फिर भी कहीं-कहीं जानकारी एवं अधिकारों के अभाव में महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं इसलिए केवल एक ही दिन इस दिवस न मनाकर महिलाओं जागरूकता हेतु समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक छात्राओं द्वारा अपने विचार प्रकट किए गए तथा कविताओं के माध्यम से बेटी की व्यथा एवं वर्तमान स्थिति का वर्णन किया गया। इस मौके पर अनेक छात्राओं ने अपने बेटी होने के अहसास और अनुभव को सभी के साथ सांझा किया। वहीं इस अवसर पर जेसीडी मैमोरियल कॉलेज की डॉ. शिक्षा गायेल ने अपने संबोधन में कहा कि यदि हमें स्त्री का सम्मान करना है तो इसकी शुरूआत पहले अपने घर से ही करनी होगी तभी यह संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को ऐसे संस्कार प्रदान करने की जिम्मेवारी हमारी ही है ताकि वे आगे चलकर स्त्री जाति का सम्मान कर सकें क्योंकि हमारा समाज पुरूष प्रधान समाज माना जाता है, जिसमें महिलाओं को अपना अस्तित्व बनाना आवश्यक है।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. जयप्रकाश, डॉ. प्रदीप शर्मा स्नेही, डॉ. दीप्ति पंडिता, श्री सुधीर आर्य एवं अन्य द्वारा मुख्य वक्ताओं को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। इस मौके पर विभिन्न कॉलेजों के महिला सैल की प्रभारी एवं सम्पूर्ण टीम के सदस्यों के अलावा छात्राएं व अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

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