Proud of the great scientists for Chandrayaan-3’s success
चंद्रयान-3 की सफलता के स्तम्भ महान वैज्ञानिकों पर देश को गर्व- डाॅ. ढींडसा
सिरसा 25 अगस्त 2023: अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ सिरसा के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण के पीछे हमारे कई महान वैज्ञानिकों का योगदान है जिनमें इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ को अहम शख्स माना जाता है। डाॅ. सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक के रूप में कार्य किया, दोनों केन्द्र इसरो के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए समर्पित हैं। चंद्रयान-3 के अलावा, डाॅ. सोमनाथ की देखरेख में तैयार किए जा रहे अन्य प्रमुख मिशन आदित्य-एल1 (सूर्य के लिए) और गगनयान (भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन) हैं।
दूसरी और पी. वीरमुथुवेल वर्ष 2019 में चंद्रयान-3 परियोजना के निदेशक बने। डाॅ.ढींडसा के अनुसार इससे पहले उन्होंने इसरो के अंतरिक्ष अवसंरचना कार्यक्रम कार्यालय में उप-निदेशक के रूप में काम किया। उन्होंने भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो नियंत्रण से बाहर हो गया था और चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा, जो स्वंय रसायन विज्ञान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक है, ने बताया कि पी. वीरमुथुवेल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के पूर्व छात्र हैं।
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III, जिसे बाद में, लॉन्च व्हीकल मार्क-III रॉकेट का नाम दिया गया था, जो चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान (प्रोपल्शन मॉड्यूल और इसके अंदर रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल भी शामिल है) को ले गया था, विक्रम सारा भाई अन्तरिक्ष केन्द्र, थुम्बा द्वारा विकसित किया गया था। केंद्र के प्रमुख एस उन्नीकृष्णन नायर। नायर और उनकी टीम महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न प्रमुख कार्यों में बदलाव कर रही है।
डाॅ. ढींडसा ने आगे बताया कि एम शंकरन ने यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक के रूप में जून 2021 में भूमिका संभाली। अन्ततः यूआरएससी ने चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान का निर्माण किया। डाॅ. ढींडसा ने कहा कि देश इन वैज्ञानिकों और उनकी अनुसंधान टीम के प्रति कृतज्ञ है जिन्होंने वर्षो की अथक मेहनत के बाद देश को पहले नम्बर पर ला खड़ा किया है।