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Extension Lecture of Commerce  Department
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  • February 3, 2018
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Extension Lecture of Commerce Department

जेसीडी मैमोरियल कॉलेज के कॉमर्स विभाग द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित
व्यक्तित्व विकास ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी – डॉ.सुरेन्द्र कुण्डू

जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित मैमोरियल कॉलेज के कॉमर्स विभाग के तत्वावधान में विगत दिवस ‘व्यक्तित्व विकास’ विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें चौ.देवीलाल विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रो. डॉ.सुरेन्द्र कुंडू ने मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित होकर सभी विद्यार्थियों को वाणिज्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ.प्रदीप स्नेही द्वारा की गई। वहीं इस कार्यक्रम का आयोजन वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो.राहुल छाबड़ा के मार्गदर्शन में किया गया।

इस मौके पर सर्वप्रथम प्राचार्य डॉ.प्रदीप स्नेही ने मुख्य वक्ता एवं अन्य उपस्थितजनों को अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में ऐसे आयोजनों की अति आवश्यकता है ताकि विद्यार्थी नवीनतम एवं बेहतर जानकारी हासिल करके अपने विषय सम्बन्धी समस्याओं का निवारण कर पाएं। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व की तेजी से बढ़ती हुई चीन के बाद दुसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा किसी भी देश की उन्नति का आंकलन करे तो केवल अर्थव्यवस्था ही काफी नहीं है बल्कि उस देश के नागरिकों का सर्वांगीण विकास भी उसमें बहुत अहमियत रखता है। डॉ.स्नेही ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए तथा समय-समय पर ऐसे व्याख्यानों एवं अन्य गतिविधियों के आयोजन करवाकर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए जेसीडी विद्यापीठ के चेयरमैन श्री दिग्विजय सिंह चौटाला, प्रबंधन समन्वयक इंजी.आकाश चावला व शैक्षणिक निदेशक डॉ.आर.आर.मलिक सहित अन्य अधिकारियों का भी अभार प्रकट किया।

इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता अपने संबोधन में डॉ.सुरेन्द्र कुंडू ने बताया कि मनुष्य के विकास के साथ-साथ उसका व्यक्तित्व विकास भी जरुरी है। आज मनुष्य चाहे कितना भी धन क्यों ना कमा ले, लेकिन जब तक उसका व्यक्तित्व विकास नहीं होता, वह अविकसितों की श्रेणी में ही गिना जाएगा। उन्होंने बताया कि व्यक्तित्व विकास के लिए दस बिन्दुओं पर ध्यान देने की जरुरत है जैसे सकारात्मक सोच, अध्ययनशील, पौष्टिक भोजन एवं सकारात्मक रिश्ते इत्यादि। उन्होंने कहा कि आज समाज में जो कुछ भी नकारात्मक हो रहा है उसके पीछे कहीं ना कहीं मनुष्य की नकारात्मक सोच भी जिम्मेदार है, इसलिए मनुष्य के व्यक्तित्व विकास के लिए सकारात्मक सोच होना जरुरी है तभी हम समाज में हो रहे अत्याचार, भ्रष्टाचार सहित अन्य बुराईयों पर काबू पा सकेंगे। डॉ कुण्डू ने मनुष्य और प्रकृति के रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि आज मनुष्य और प्रकृति का रिश्ता बडे ही नाजुक मोड़ पर खड़ा है यदि ये रिश्ता यों ही बिगड़ता रहा तो वो दिन दूर नही जब प्रकृति स्वयं ही मानव जाति का सर्वनाश कर देगी। उन्होंने महात्मा गाँधी जी के तीन बंदरों का उदाहरण देते हुए बताया कि बापू के तीन बंदर हमेशा यही संदेश देते थे कि बुरा ना देखो, बुरा ना सुनो, बुरा ना बोलो, आज उसी अवधारणा को बदलने की आवश्यकता है। उस अवधारणा की जगह अच्छा देखो, अच्छा सुनो व अच्छा बोलो की अवधारणा अपनाने की जरुरत है।

इस अवसर पर वाणिज्य विभाग के प्रो.राकेश फुटेला, प्रो.दीपक शर्मा, प्रो.सविता शर्मा, प्रो.अनिता मक्कड़ व विभाग से सम्बन्धित समस्त विद्यार्थीगण एवं अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।

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