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Inauguration of CRE Programme – JCD College of Education, Sirsa
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  • April 23, 2019
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Inauguration of CRE Programme – JCD College of Education, Sirsa

जन नायक चै देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय सिरसा में भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित तीन दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि श्रीमती गीता कथूरिया निदेशक दिशा संस्थान सिरसा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ जयप्रकाश ने की। जेसीडी विद्यापीठ की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ शमीम शर्मा ने जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के परिवार द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद व बधाई दी और सभी प्रतिभागियों व विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं की डॉ जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ जयप्रकाश ने संबोधित करते हुए कहा कि विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है विकलांग बच्चों की देखभाल, सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

गरिमा तथा समानता के लिए विकास के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाएं जहां विक्लांग बच्चे अपने अधिकार की पूर्ति कर संके और विभिन्न कानूनों के अनुरूप समान अवसरों का लाभ उठाकर पूर्ण भागीदारी प्रदर्शित कर संके। विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ विशेष पुनर्वास सेवाओं को शामिल किया जाए। गंभीर विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए विकास के अधिकार तथा विशेष आवश्यकताओं व देखभाल, सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती गीता कथूरिया ने सभी प्रतिभागियों से कहा कि आप सभी नौकरी के साथ -साथ एक पुनीत कार्य से भी जुड़े हुए है। अतःआप अपने-अपने क्षेत्र में पूरे मन एवं ईमानदारी से कार्य करें ताकि ईश्वर आपकी हमेशा मदद करता रहेगा। श्रीमती गीता कथूरिया ने कहा कि खेलकूद, मनोरंजन से बालकों का शारीरिक व मानसिक विकास होता है इसलिए हमें दिव्यांग बालकों को भी नियमित रूप से खेलकूद गतिविधियाँ करवानी चाहिए। श्रीमती गीता कथूरिया ने कहा कि ’अवसाद’ बीमारी है जो जीवन के किसी भी हिस्से में किसी को भी लग सकती है। उन्होंने बताया कि ’आप देखेंगे कि दुनिया का हर बीसवां व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित है। पढ़ाने के माध्यम तथा विधि को सही तरह से अपनाया जाए ताकि वे अधिकतर विकलांगता परिस्थितियों पर खरा उतरे। स्कूल या कई स्कूलों के आसानी से पहुंच में आने वाले केंद्रों पर पढ़ान व सिखाने के तकनीकी व पूरक विशेष प्रणाली उपलब्ध कराई जाए। विकलांक बच्चों की क्षमता के बारे में जानकारी के अभाव में कई स्कूल ऐसे बच्चों को अपने यहां दाखिला लेने से हिचकते हैं।

शिक्षकों, प्राचार्यों तथा स्कूल के अन्य कर्मचारियों को सुग्राही बनाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएं। रिसोर्स पर्सन मिस्टर राज पवन श्री रामपाल अनुराधा रिंकू ने प्रतिभागियों को विद्यालय में अध्ययनरत बालकों की व्यावहारिक समस्याओं को पहचानना एवं उनका प्रबंधन करवाने का प्रेक्टिकल करवा कर समझाया। उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि शिक्षकों की परिचय तथा सेवा प्रशिक्षण में विकलांग बच्चों के प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर एक मॉड्यूल शामिल किया जाएं। विकलांग छात्रों के क्लास रूम, हॉस्टल, कैफेटेरिया तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रत्येक राज्यध्केंद्र शासित प्रदेश में समावेशिक शिक्षा का मॉडल स्कूल खोला जाएगा, ताकि विकलांग लोगों की शिक्षा को बढ़ावा मिल सके। नॉलेज सोसाइटी के इस दौर में कम्प्यूटर एक अहम भूमिका निभाता है। यह प्रयास किया जाएं कि प्रत्येक विकलांग बच्चा को उचित रूप से कम्यूटर का इस्तेमाल करने का अवसर मिले। कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर मदन लाल ने सीआरई कार्यक्रम के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला।

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