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Makar Sankranti
  • By Davinder Sidhu
  • January 16, 2024
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Makar Sankranti

भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति का है विशेष महत्व: प्रोफेसर ढींडसा

सिरसा 14 जनवरी 2024: मकर संक्रांति के पर्व पर जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने कई दान पुण्य कार्य किए और गायों को हरा चारा-गुड़ खिलाकर मंगल कामना की क्योंकि गाय में 33 कोटी देवी देवताओं का वास होता है। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर गाय को हरा चारा खिलाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस अवसर पर उनके साथ जेसीडी विद्यापीठ के जनसमपर्क निदेशक प्राचार्य डॉ जयप्रकाश भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉक्टर ढींडसा ने बताया कि मकर संक्रान्ति के पर्व को देश के तमाम हिस्‍सों में खिचड़ी, पोंगल, उत्‍तरायण और काइट फेस्टिवल जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब ये त्‍योहार मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में, और विशेषकर गुजरात में, पतंग उड़ाने की प्रथा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि मकर संक्रांति एक हिंदू फसल त्योहार है जो पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है और जनवरी के महीने में आता है। यह त्योहार फसल के मौसम की शुरुआत और सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है । इस दिन के बाद गर्म और लंबे दिन आते हैं और कड़ाके की ठंड का अंत होता है।मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणी से उत्तरी गोलार्ध तक की यात्रा का उत्सव है और इसे एक शुभ समय माना जाता है। मकर का अनुवाद ‘मकर’ है और संक्रांति का अर्थ है ‘संक्रमण’। मकर संक्रांति पर ज्योतिषीय विन्यास को ‘महा-स्नान-योग’ कहा जाता है। इस दिन तरक्की के रास्ते खुलते हैं – पुराण और विज्ञान दोनों में मकर संक्रांति यानी सूर्य की उत्तरायण स्थिति का अधिक महत्व है. सूर्य के उत्तरायण से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. कहते हैं उत्तरायण में मनुष्य प्रगति की ओर अग्रहसर होता है, अंधकार कम और प्रकाश में वृद्धि के कारण मानव की शक्ति में भी वृद्धि होती है।

डॉक्टर जयप्रकाश ने बताया कि मकर संक्रांति पुरे भारत मेंं मनाई जाती है, दक्षिण मेंं पोंगल के रूप मेंं ,आसाम में बिहू के नाम से और पंजाब मेंं लोहड़ी के रूप में मनाई जाती है । मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण और एमपी-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में संक्रांति के रूप में मनाया जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है । इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करता है, मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है, इस दिन गंगासागर में स्न्नान करने का बहुत महत्व है।

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