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National webinar on Challenges, planning and opportunities in teaching – JCD PG College of Education
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  • May 27, 2020
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National webinar on Challenges, planning and opportunities in teaching – JCD PG College of Education

जननायक चै. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय, सिरसा में कोविड 19 के परिप्रेक्ष्य में ‘शिक्षण में उत्पन्न चुनौतियां, योजना एवं अवसर’ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित !

A national webinar on the topic ‘Challenges, Planning and Opportunities in Education’ concluded in the context of COVID 19 at JCD PG College of Education. Dr, Shamim Sharma, MD, JCDV was the chief guest, while Dr. Nivedita, Chairperson, Department of Education, Devi Lal University, Sirsa, attended the program as Special Guest Guest.

Dr. Jai Prakash, Principal o Education College welcomed the chief guest, special guests and other guests.

Dr. Rajendra Kumar, Organizing Secretary of National Webinar thanked the Chief Guest Dr. Shamim Sharma, Keynote Speaker Prof. Arvind K. Jha and Dr. Vandana Poonia, Dr. Nivedita, Dr. Jai Parkash Principal of the college, all the teachers and the participants for making the program successful.

सिरसा (27-05-2020) जननायक चै. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय, सिरसा में कोविड 19 के परिप्रेक्ष्य में ‘शिक्षण में उत्पन्न चुनौतियां, योजना एवं अवसर’ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्यातिथि जननायक चै. देवीलाल विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा एवं विशिष्ट-अतिथि चै. देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा की शिक्षा-विभाग की अध्यक्षा डॉ. निवेदिता भी विशेष रूप से उपस्थित थीं।

राष्ट्रीय वेबीनार के संय¨जक व प्राचार्य डॉ जयप्रकाश ने मुख्यातिथि, विशिष्ट-अतिथि व अन्य अतिथिय¨ं का स्वागत किया एवं राष्ट्रीय वेबीनार के उद्देश्यों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि कोविड-19 की वैश्विक त्रासदी के दौर में आमने-सामने की पारंपरिक शिक्षा के सामने कठिनाई खड़ी हो गई है। विद्यार्थियों की शैक्षणिक हानि हो रही है। इस हानि को न्यूनतम करना ई-लर्निंग की सबसे बड़ी चुनौती है। हम ई-सामग्रियों को अपलोड करके इस नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यही नहीं, भविष्य में हाइब्रिड मोड के जरिए व्यापक मानव समाज में शिक्षा के प्रसार का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है। पर इस संभावना की बड़ी चुनौती है- घर बैठे विद्यार्थियों की मनःस्थिति व तनाव को समझकर काउंसिलिंग सेंटर के जरिए ई-सामग्री तैयार करना और उसे अपलोड करना। इसमें संदेह नहीं कि आज इंटरनेट की सुविधा हमारे पास उपलब्ध है। इसके कारण विद्यार्थियों में  ई-लर्निंग के प्रति रुचि बढ़ी हैै।


मुख्यातिथि डॉ. शमीम शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना महामारी से स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु ऑनलाइन एजुकेशन की आवश्यकता पर आप पूरा जोर दिया जा रहा है। डॉ. शमीम शर्मा के नेतृत्व में विद्यापीठ के माध्यम से होने वाले सामाजिक उत्तरदायित्व एवं कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने में यहां के कर्मचारियों प्राध्यापकों एवं संबद्ध महाविद्यालयों के द्वारा अपने अपने वेतन से दिए गए सहयोग, श्रम सहयोग, समय दान आदि का उल्लेख किया एवं सराहना की। उन्होंने कोविड-19 के इस दौर में किस प्रकार से स्मार्ट लर्निंग के माध्यम से छात्रों से तकनीकी के प्रयोग द्वारा संवाद स्थापित किया जा सकता है, पर प्रकाश डाला। उन्होंने पांच सी का सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए कंटेंट मैनेजमेंट, कनेक्टिविटी, कोआर्डिनेशन, कैपेसिटी बिल्डिंग एवं कंटेंट कोलिशन की अवधारणा पर बल दिया। डॉ. शमीम शर्मा ने कहा कि जननायक चै. देवीलाल विद्यापीठ प्रबंधक कमेटी की योजना है कि आगामी दिनों में इस प्रकार की वर्चुअल एकेडमिक कॉन्फ्रेंस एवं सेमीनार निरंतरता में किए जाने चाहिए।

इस वेबीनार में प्रातःकालीन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ अरविंद के झा, डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन, बीबी अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने शिक्षण की विभिन्न विधाओं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध ई-लर्निंग शिक्षा के बारे में और उनके  प्रयोग के बारे में जानकारी दी। जब भी कोई समस्या आती है उसके साथ उसका समाधान भी आता है।  उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते शिक्षकों द्वारा शिक्षा शास्त्र विधियों के उपयोग के बारे में बताया उन्होंने अपनी बात क्या चरणों में रखी पहला महत्वपूर्ण मुद्दे और प्रसन्न चुनौतियां और अवसर शिक्षा शास्त्र में बदलते परिदृश्य शिक्षा शास्त्र सृजनात्मकता में नवीनता कोविड-19 के चलते विश्व भर में करोड़ों विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। लाॅक डाउन के चलते शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का प्रारूप बदल गया है उन्होंने कई लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे कि खान एकेडमी के बारे में बताया स ऑनलाइन शिक्षा से बच्चे काफी खुश हैं। इस आधुनिक शिक्षा से बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। ग्रुप में बताए गए समय पर अधिकतर बच्चे ग्रुप से जुड़ जाते हैं जिससे उनके साथ कम्यूनिकेशन बढ़िया हो जाता है। डॉ झा के अनुसार ऑनलाइन टीचिंग पारंपरिक पढ़ाई-लिखाई का स्थान नहीं ले सकती किंतु इसके विवेकपूर्ण प्रयोग से आपस में उचित दूरी बनाए रखते हुए कॉलेजों के संचालन हेतु नए प्रकार के मॉडल को अपनाना उचित रहेगा। ई-लर्निंग पद्धति लोकप्रिय इसलिए भी हो रही है, क्योंकि यह सस्ती है। इसमें लचीलापन है। व्यक्ति अपनी जगह, अपने समय के अनुसार रुचि के पाठ्यक्रम में नामांकन करा सकता है। ई-लर्निंग के जो स्रोत और प्लेटफॉर्म आज हमें उपलब्ध हैं, उनमें ज्ञानवाणी, दूरदर्शन, स्वयं, स्वयंप्रभा, नेशनल डिपॉजिटरी ऑफ ओपेन एजुकेशन के शामिल होने के साथ ही यू-ट्यूब, जूम के अलावा वाट्सएप पर अनेक प्रकार के निजी और स्वतंत्र एप लोगों ने विकसित किए हैं। पर हमें सिर्फ दूसरों के एप्स को कॉपी करने की आवश्यकता नहीं है। अपने देश की परिस्थिति, जीवन मूल्यों, और अपनी संस्कृति को समझते हुए एक स्वदेशी सिस्टम विकसित करने की चुनौती हमारे सामने है।

सांध्य-कालीन सत्र की मुख्य वक्ता डॉ वंदना पूनिया, प्रोफेसर, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर, जीजेयू, हिसार ने कहा कि जीवन के अनेक क्षेत्रों के साथ-साथ मनुष्य ने तकनीक का भी खूब विकास किया। तकनीकी विकास के चलते इंसानी जिंदगी के सभी आयामों में विलक्षण परिवर्तन हुए हैं। और ये बदलाव न केवल मात्रात्मक विस्तार के रूप में हुए, बल्कि गुणात्मक भी हुए हैं। इनका लाभ लोगों ने भरपूर उठाया है। डॉ पूनिया ने कहा कि हमें ग्लोबल टीचर बनना है। हमें टेक्नोलॉजी के साथ ही जीना पड़ेगा आज की आवश्यकता डिजिटल लर्निंग की है। अध्यापक और विद्यार्थी को ई-इकॉन्टेंट, ई-लर्निंग को समझना और समझाना पड़ेगा। भारत में शिक्षा का तंत्र अत्यंत व्यापक है। तकनीक ने शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने में अहम योगदान दिया है, इसी के कारण नौजवानों और शेष समाज का रुझान ई-लर्निंग की तरफ बढ़ रहा है। ई-लर्निंग से आशय नेटवर्किंग के जरिए दूरस्थ बैठे लोगों को शिक्षण के निर्देश सुलभ कराना है। डिजिटल लाइबे्ररी के जरिए अब हम उन पुस्तकों तक घर बैठे-बैठे आसानी से पहुंच सकते हैं, जो पहले संभव नहीं लगता था।

राष्ट्रीय वेबीनार आयोजक सचिव डॉ राजेंद्र कुमार ने मुख्य अतिथि डॉ. शमीम शर्मा, मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ अरविंद के झा एवं डॉ वंदना पूनियाए डॉ. निवेदिता, महाविद्यालय क¢ प्राचार्य, समस्त अध्यापकों एवं प्रतिभागियों को कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्ह¨ंने कहा कि ई-लर्निंग के आकर्षण की एक बड़ी वजह यह है कि फेस टू फेस टिचिंग के पठन-पाठन में एनिमेशन का अभाव है, जबकि ई-लर्निंग में इसे पर्याप्त जगह मिली हुई है। इसीलिए ई-लर्निंग के जो प्रेजेंटेशन हैं, उनमें विद्यार्थियों की रुचि पारंपरिक पढ़ाई की तुलना में बढ़ रही है। फेस टू फेस टिचिंग की विशेषता यह है कि इसमें न केवल हम टीचर से संवाद करते हैं, बल्कि सहपाठियों के साथ संवाद से भी हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है। कक्षाओं में प्रतिस्पद्र्धा का वातावरण होता है। प्रश्न है कि इस वातावरण में विद्यार्थियों में जो कौशल और कुशलता की वृद्धि होती है, उसे ई-लर्निंग के जरिए हम कैसे विकसित कर सकते हैं? हमें इन दोनों के ‘हाइब्रिड मोड’ को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। देश के विभिन्न राज्यों राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम, बिहार, अरुणाचल प्रदेश आदि विभिन्न क्षेत्रों से 1200 से अधिक प्रतिभागियों इस सेमिनार में भाग लिया।
इस अवसर पर डॉ रेणु गुप्ता पूर्व प्रिंसिपल हिंदू कॉलेज आॅफ एजुकेशन, सोनीपत, डॉ सुरेंद्र कुंडू प्रिंसिपल, यूनिवर्सिटी कॉलेज, चै. देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा, डॉ नीलम रानी प्रिंसिपल गोल्ड फील्ड कॉलेज ऑफ एजुकेशन बल्लभगढ़, डॉ. शमशीर एपी सेंट्रल़ यूनिवर्सिटी भटिंडा, डॉ कृष्णकांत प्रिंसिपल सीआर डीएवी कॉलेज ऐलनाबाद, डॉ सुफिया प्रिंसिपल गुरुदीन गर्ल्स कॉलेज ललितपुर, डॉ राजीव कपूर एपी डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी एमडीयू रोहतक, डॉ गुरुचरण दास प्रिंसिपल एमएम कॉलेज फतेहाबाद, डॉ युधिष्टर, डॉ मधु अग्रवाल, डॉ विजयप्रकाश शर्मा महाराष्ट्र डॉ विजय फोगाट चंडीगढ़, डॉ रमेश सिंह चैहान परीक्षा नियंत्रक, एसडीएस उतराखंड विश्वविद्यालय गढ़वाल, डॉ आरके शर्मा आगरा, डॉ तपेश केयूके, डॉ अमृतपाल कौल आइईटीवी पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, तान्या श्रीवास्तव, सरदार ज्ञान सिंह गढ़वाल, योगेश जोशी मध्यप्रदेश, डॉ गिरीश जगदेव महाराष्ट्र, डॉ द्विवेदी श्री गुरु तेगबहादुर सिंह खालसा कॉलेज जबलपुर महाराष्ट्र, डॉ अभिलाषा चैधरी कानपुर, अनमोल मिश्रा, डॉ क्यूए सिदिक्की सीएसजेएम नानपुर विश्वविद्यालय, जननायक चै. देवीलाल विद्यापीठ महाविद्यालय के समस्त प्राचार्य, प्राध्यापक, देश के विभिन्न भागों से प्राध्यापकों एवं छात्रों ने यूट्यूब एवं फेसबुक एप के माध्यम से  वेबीनार में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।

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