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Scholarships distributed by Bhagat Singh Institute of Sirsa
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  • March 26, 2019
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Scholarships distributed by Bhagat Singh Institute of Sirsa

सिरसा के भगत सिंह संस्थान द्वारा वितरित की गई छात्रवृत्तियां
शिक्षा के साथ-साथ विनम्रता एवं सहयोग की भावना भी सीखें विद्यार्थी : डॉ.एस.आर.जिन्दल

स्थानीय विकास हाई स्कूल में विगत दिवस छात्रवृत्ति वितरण एवं शैक्षिक स्तर पर विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रो. डॉ. एस.आर.जिन्दल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जेसीडी विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ.शमीम शर्मा द्वारा की गई। इस मौके पर सिरसा के विख्यात साहित्यकार श्री पूरन मुद्गल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भगत सिंह संस्थान का परिचय दिया। इस कार्यक्रम में राजेन्द्रा इंस्ट्च्यिूट के पूर्व प्राचार्य डॉ.ओमप्रकाश बिश्रोई के अलावा श्री घनश्याम मेहता, श्री बी.डी. शर्मा, हरदयाल बेरी, इन्द्रजीत सेतिया, ज्योति सेतिया, जयश्री शर्मा, सुनीता देवी, सुरेश बर्नवाल सहित अनेक अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। वहीं इस कार्यक्रम का मंच संचालन विशाल वत्स द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में नरेन्द्र ग्रोवर द्वारा अपनी मधुर आवाज में गीत प्रस्तुत करके सभी को मंत्रमुग्ध किया।

मुख्यातिथि के तौर पर अपने संबोधन में डॉ.एस.आर.जिन्दल ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ विनम्रता एवं सहयोग की भावना को भी सीखना चाहिए। उन्होंने बताया कि 23 मार्च को पाकिस्तान के लाहौर के शादमान चौक का नाम शहीद भगत सिंह चौक रख दिया गया था तथा पाकिस्तान कोर्ट से इसका आदेश लेने के लिए राशिद कुरैशी नामक वकील द्वारा लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई थी। उन्होंने अपने संबोधन में उनके प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉ.शमीम शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को यह समझना होगा कि कोई भी संकट या मुश्किल केवल क्षणिक होते हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसी प्रकार का कोई बहाना नहीं बनाना चाहिए बल्कि अपना लक्ष्य निर्धारण करके पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ उसे हासिल करने के लिए प्रयास करना चाहिए। वहीं उन्होंने इस अवसर पर जानकारी प्रदान करते हुए उन्होंने बताया कि जो विद्यार्थी मैरिट में रहेगा उसे जेसीडी विद्यापीठ विशेष प्रोत्साहन प्रदान करेगा। डॉ.शर्मा ने कहा कि कोई भी कार्य मुश्किल या नामुमकिन नहीं होता है बल्कि हमें उसके प्रति लग्र एवं कर्तव्यनिष्ठा तथा ईमानदारी बरतनी चाहिए तभी हम कामयाब हो सकते हैं।

डॉ.ओमप्रकाश बिश्रोई ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को प्रकृति के प्रति कृतज्ञहोने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए उसे बेहतर तरीक से निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति में मनुष्य सबसे विलक्षण जीव है तथा उसमें अपार क्षमताएं निहित हैं। मनुष्य का मस्तिष्क अद्भुत है और वह ही आविष्कार व सृजन करता है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को 50 हजार से अधिक की धनराशि छात्रवृत्ति के रूप में वितरित किया गया। इस मौके पर सभी विद्यार्थियों के अभिभावकगण एवं अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

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