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Smriti Akhyan Mala program on the birthday of famous litterateur Puran Mudgal of Sirsa
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  • December 20, 2021
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Smriti Akhyan Mala program on the birthday of famous litterateur Puran Mudgal of Sirsa

जन आंदोलन हमें एक नई जुबान देते हैं-डॉ. सुमेल सिद्धू
सिरसा के सुविख्यात साहित्यकार पूरन मुद्गल के जन्मदिन अवसर पर स्मृति आख्यान माला कार्यक्रम का आयोजन

सिरसा (20 दिसम्बर 2021)ः हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला के सौजन्य से स्थानीय भगत सिंह संस्थान तथा राहुल सांकृत्यायन पुस्तकालय, सिरसा के संयुक्त तत्वावधान में जेसीडी विद्यापीठ में विगत दिवस पूरन मुद्गल जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में ‘स्मृति आख्यान माला’ का आयोजन करवाया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर जेएनयू स्कालर, इतिहासकार तथा ‘‘अदारा 23 मार्च’’ संस्था के संयोजक डॉ0 सुमेल सिंह सिद्धू ने अपने विचार प्रकट किए। ‘‘अब जूझन को दाव’’ विषय पर आयोजित इस गोष्ठी में ‘‘जन आंदोलन हमें क्या सिखाते हैं’ पर अपने विचार प्रकट करते हुए डॉ0 सिद्धू ने ‘जन बुद्धिजीवी’ की परिभाषा से शुरूआत करते हुए बताया कि बैचेनी व असंतोष के माहौल में उसे नींद नहीं आ सकती। उन्होंने अपने व्याख्यान में एक वर्ष तक चले किसान आंदोलन बारे जिक्र करते हुए कहा कि सरकार द्वारा किसानों के किये जा रहे दमन का प्रतिरोध करते हुए उन्होंने पूरे जोश-खरोश के साथ दिल्ली पहुंचकर अपनी एकता की शक्ति दिखाकर तत्कालीन निजाम को एक साहसी चुनौती देने का काम किया तथा कालांतर में निर्णयक विजय हासिल करके उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अनेक विदेशों में हुए ऐसे ही विरोधों के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। आम आदमी की मुखरता इस आंदोलन के दौरान तीन सफल भारत बंद के माध्यम से व्यक्त हुई। ‘‘नो फार्मर-नो फूड’’ के केन्द्रीय नारे ने यह साबित किया कि आंदोलन हमें एक नई जुबान देकर जाते हैं और नये बुद्धिजीवी पैदा करते हैं।

 

इस मौके पर इस आख्यान माला के अध्यक्ष का0 स्वर्ण सिंह विर्क ने किसान आंदोलन की सफलता के प्रतीक 62 वर्षीय सतपाल सिंह का जिक्र किया जो लगातार 380 दिन तक टीकरी बार्डर पर बैठे रहे और दिल्ली से वापिसी पर ढोल नगाडो द्वारा उनके स्वागत की चर्चा की। श्री पूरन मुद्गल के 1962-65 के दौर में विद्यार्थी रहे का0 विर्क ने उनके साहित्य को चिरंजीवी बताया। ‘‘शब्द के आठ कदम’’ को अनूठी कृति बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक बार-बार पढ़ी जानी चाहिए। प्रकृति के सौन्दर्य के प्रति श्री मुदगल के आकर्षण का जिक्र करते हुए ‘‘एक चिड़िया उसके भीतर’’ संकलन की भी भूरि-भूरि प्रंशसा की गई।

इस मौके पर विशेष रूप से कार्यक्रम में उपस्थित जेसीडी विद्यापीठ की प्रबन्ध निदेशक डॉ0 शमीम शर्मा एवं श्रीमती सीमा वत्स द्वारा मंचासीन अतिथियों को गुलदस्ते भेंट किए गए। वहीं इस मौके पर जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 जयप्रकाश ने सभी अतिथियों का फूलमाला द्वारा अभिनंदन किया गया।

राहुल साकृत्यायन एवं पुस्तकालय के सचिव श्री सुशील पुरी ने आयोजन में उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। श्री गुरबक्श मांेगा ने मंचासीन अतिथियों के परिचय के साथ ही पूरन मुद्गल जी के साथ 35 वर्षों की पारिवारिक एवं संगठनिक सांझ को याद करते हुए मुद्गल जी की विपरीत परिस्थिति में उनके ब्रह्मवाक्य ‘‘इससे हमें बल मिलता है’’ को याद करते हुए सिरसा साक्षरता मिशन में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका को नमन किया।

इस मौके पर भारत भूषण प्रधान द्वारा पूरन मुद्गल जी के साथ अपने 39 वर्ष के सानिध्य को याद करते हुए बताया कि वे उनके ससुर होने के साथ ही मित्र एवं एक बेहतर शिक्षक भी थे। उनके साथ बिताए प्रत्येक क्षणों के प्रति भावुकता से भारत भूषण ने एक मधुर गीत (इक बंजारा गाये जीवन के गीत सुनाये, हम सब जीने वालों को जीने की राह सिखायें) द्वारा प्रस्तुत किया। इस मौके पर भगत सिंह संस्थान के कोषाध्यक्ष इन्द्रजीत सेतिया द्वारा संस्थान के गठन के पश्चात से अभी तक करवाए गए समस्त कार्यों एवं संस्थान की कार्यशैली से परिचय करवाया गया। उन्होंने बताया कि अब तक 500 से अधिक लाभार्थियों को 15 लाख से ज्यादा की राशि स्कॉलरशिप के माध्यम से वितरित की जा चुकी है।

वहीं एसडीओ रणजीत सिंह ने 1966 से मुद्गल जी के साथ बिताये भावुक पलों को याद करते हुए बताया कि श्री मुद्गल एक चलता फिरता शब्दकोष थे। श्री सुरेश बरनवाल ने वर्ष 2010 में मुद्गल जी से पहली मुलाकात के बाद प्रगाढ़ हुए रिश्तों को रूहानी बताते हुए उनकी एक कविता का पाठ करके सभी को भाव-विभोर किया, जिसे मंच समेत सभी दर्शकों ने खुब सराहा। नरेन्द्र ग्रोवर द्वारा एक खुबसूरत गीत पेश किया गया। इस कार्यक्रम का सफल मंच संचालन करते हुए विशाल वत्स ने सभी श्रोताओं को राहत इंदौरी की शेरो-शायरी के माध्यम से आनंदविभोर किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित अतिथियों को संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान करने के पश्चात भगत सिंह संस्थान के उपाध्यक्ष घनश्याम मैहता ने इस कार्यक्रम में पधारने पर सभी उपस्थितजनों एवं अतिथियों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए बताया कि स्वास्थ्य कारणों के चलते हरियाणा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चन्द्र त्रिखा जी इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाएं तथा उन्होंने अपनी शुभकामनाएं उनके माध्यम से प्रेषित की। इस कार्यक्रम में शहर के विख्यात साहित्यकार, चिकित्सक एवं अन्य अतिथिगण उपस्थित रहे, जिनमें रूप देवगुण, हरभगवान चावला, एडवोकेट रमेश गोयल, ज्ञान प्रकाश पीयूष, रमेश शास्त्री, डॉ0 हरविन्द्र सिंह, सुरजीत सिंह रेणु, डॉ0 राजकुमार निजात, डॉ0 शील कौशिक इत्यादि गणमान्य हस्तियां शामिल हुई।

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