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Swami Vivekanand Ji Jayanti Celebration – 12/01/2018
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  • January 12, 2018
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Swami Vivekanand Ji Jayanti Celebration – 12/01/2018

स्वामी विवेकानंद जी आज भी युवाओं के आदर्श – डॉ.आर.आर.मलिक
शहीदों की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में किया जाए शामिल ताकि विद्यार्थी बेहतर ज्ञान प्राप्त कर सकें

सिरसा 12 जनवरी,2018 : जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित शिक्षण महाविद्यालय एवं दैनिक जागरण समूह के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज के सभागार कक्ष में स्वामी विवेकानंद जी के 155वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में एक सेमिनार का आयोजन किया गया,जिसमें जेसीडी विद्यापीठ के शैक्षणिक निदेशक डॉ.आर.आर.मलिक ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की,वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.जयप्रकाश द्वारा की गई। इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती गीता कथूरिया,जेसीडी मैमोरियल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.प्रदीप स्नेही एवं श्रीमती कविता शर्मा ने उपस्थित होकर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ.जयप्रकाश,अन्य अतिथियों,समस्त स्टाफ सदस्य एवं विद्यार्थियों ने केक काटकर स्वामी जी के जन्मदिवस को हर्षोल्लास से मनाया।

सर्वप्रथम अपने संबोधन में डॉ.जयप्रकाश ने सभी वक्ताओं एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन का संक्षिप्त परिचय प्रदान करते हुए बताया कि उनका जीवन सादा तथा विचार उच्च थे तथा उन्होंने एक प्रेरणा प्रदान की थी जागो,उठो,आगे बढ़ो और तब तक बढ़ते रहो जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के जीवन में विवेक सूत्र,बल,श्रद्धा,सेवा,त्याग,आत्मसंयम इत्यादि गुणों को अपने आचार-विचार में समाहित किया हुआ था। स्वामी जी की ओजस्वी वाणी युवाओं के मन में एक नई ऊर्जा का संचार करती थी। डॉ.जयप्रकाश ने कहा कि उनका जीवन युवाओं को आगे बढऩे की प्रेरणा देने के साथ-साथ अंतर्निहित आत्मविश्वास,साहस,स्वावलम्बनप्रेमभाव, सहानुभूति एवं नैतिकतापूर्ण अपना जीवनयापन करने की क्षमता प्रदान करता है। उनका जीवन हमें कठिनाइयों और असहाय परिस्थितियों के समय सही पथ-प्रदर्शन करने में भी सहायक है। स्वामी जी का योगदान बेजोड़ है,उनका योगदान प्रत्येक कार्य में अविस्मरणीय है।

श्रीमती गीता कथूरिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि युवाशक्ति समाज को सही दशा व दिशा प्रदान करता है तथा सच्चे अर्थों में युवा ही समाज सुधारक एवं राष्ट्र निर्माता होते हैं, इसलिए युवाओं को सदैव राष्ट्रहित के बारे में सोचना चाहिए तथा अपने लक्ष्य को हासिल करने हेतु ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक प्रयास करने चाहिए। युवाओं को निरर्थक बातों की ओर ध्यान न देते हुए सदा सकारात्मक रवैया अपनाते हुए बेहतर प्रयास करने चाहिए।

श्रीमती कविता शर्मा ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम सभी को बधाई प्रेषित की तथा कहा कि आज का युवा अपनी दिशा भटक चुका है इसलिए उनको सही दशा व दिशा प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे राष्ट्र के हित में सही-गलत की बेहतर पहचान करके अपना अमूल्य योगदान प्रदान कर सकें तथा सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दे सकें। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी ऊर्जा की पहचान करनी चाहिए तथा उसका बेहतर उपयोग करना चाहिए।

अपने वक्तव्य में डॉ.प्रदीप स्नेही ने सर्वप्रथम सभी को एक महान शक्सियत एवं युवाओं के प्रेरणास्त्रोत के जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जी हमारे आध्यात्मिक गुरु रहे हैं तथा उन्होंने विश्वभर के युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया था। स्वामी जी के माता-पिता के अच्छे संस्कारों और परवरिश के कारण ही उनको बेहतर संस्कार व उच्चकोटि की सोच प्राप्त हुई। उनकी रूचि युवा दिनों से ही आध्यात्मिकता के क्षेत्र में रूचि थी, वे हमेशा भगवान की तस्वीरों जैसे: शिव,राम और सीता के सामने ध्यान लगाकर साधना की। स्वामी विवेकानंद जी ने सदैव युवाओं को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया था,जिसके चलते वे सदैव ही युवाओं के प्रेरणास्त्रोत रहे थे।

बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में सर्वप्रथम डॉ.आर.आर.मलिक ने समस्त युवाओं को स्वामी जी के जन्मदिवस की बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि युवा वास्तव में वही है जो देश के मान-सम्मान एवं राष्ट्रहित में अपनी सोच रखता है तथा अपनी शक्ति की वास्तविकता में पहचान करके बेहतर कार्य करता है। उन्होंने कहा कि देश के लिए अपनी जान न्यौछाबर करने वाले क्रांतिकारियों के बारे में ज्ञान प्रदान करके जागरूकता लानी चाहिए। डॉ.मलिक ने कहा कि स्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया शांति निकेतन संस्थान सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान है। उन्होंने कहा कि शहीदों की जीवनी को विद्यालयी पाठ्यक्रम में लागू किया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी उनके बारे में बेहतर जान सकें। युवाओं में देशभक्ति,कर्तव्य परायणता की भावना जागृत करनी चाहिए क्योंकि युवा ही हमारी संस्कृति की पहचान तथा राष्ट्र निर्माण में अह्म भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी जी धैर्य,त्याग व साहस की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने विदेशों में तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान की तथा अध्यात्म विद्या और भारतीय दर्शन की शिक्षा विश्व को प्रदान करने का कार्य किया था इसलिए वे विश्वगुरु कहलाए थे।

इस अवसर पर कॉलेज के समूचे स्टाफ सदस्य एवं समस्त विद्यार्थीगण भी उपस्थित रहे तथा स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा हासिल की।

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