Teachers Day Celebration at JCDV, Sirsa
जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में ‘गुरु ब्रह्मा……अध्यापक सम्मान उत्सव’ का आयोजन
सिरसा 3 सितंबर, 2021 : जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ,सिरसा में शिक्षक दिवस के अवसर पर जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय, सिरसा के सभागार कक्ष में ‘गुरु ब्रह्मा……अध्यापक सम्मान उत्सव’ का आयोजन किया गया, जिसमे श्री आई. जे. नाहल, पूर्व-प्राचार्य, डी.एन. कॉलेज, हिसार ने बतौर मुख्यातिथि व जेसीडी विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यगण उपस्थित रहे I ‘गुरु ब्रह्मा अध्यापक सम्मान उत्सव’ कार्यक्रम में सिरसा शहर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान के शिक्षकों मिस्टर जगदीप ग्रेवाल बिट्स इंस्टीट्यूट, सतीश कुमार मित्तल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नवीन सिंगला आरोही मॉडल स्कूल , अतुल्य जोशी प्राचार्य, अखिलेश दुबे न्यू कॉन्सेप्ट अकैडमी , अतुल बंसल फ्यूचर इंस्टिट्यूट ऑफ कॉमर्स, मृत्युंजय मिश्रा मिश्रा फिजिक्स क्लास, मयंक बत्रा मयंक इंग्लिश क्लास ,बाबूलाल सिम केंपस सिरसा , राकेश रेनबोज इंस्टिट्यूट , सुहैदीप चीमा देवेंद्र सिंह आकाश इंस्टीट्यूट दिपेन्द्र सिह,, मिस्टर सूरज माइन एनएम क्लासेज अनिल लाइव क्लासेस को सम्मानित किया गया । इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यातिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चरणों में द्वीप प्रज्ज्वलित करके किया।
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कार्यक्रम के संयोजक प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षक के बिना जीवन संभव नहीं है। शिक्षक ही जीवन जीने का कला सिखाते हैं। उन्हीं के सानिध्य में व्यक्ति ज्ञान अर्जित करता है। किसी भी छात्र के जीवन को सफल बनाने में शिक्षक बहुत ही अहम किरदार निभाता है। शिक्षक अपने छात्र को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें देश का अच्छा नागरिक बनाता है। माता पिता के बाद शिक्षक की वजह से ही किसी भी छात्र का भविष्य उज्ज्वल होता है। हमारे माता-पिता हमें जन्म देते हैं। वहीं शिक्षक हमें सही और गलत का फर्क बता कर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। शिक्षक सही मार्ग दर्शन के साथ हमारे भविष्य को उज्जवल बनाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षकों का स्थान हमारे माता-पिता से भी ऊपर होता है। शिक्षा के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जिस प्रकार हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमें जीवन में आगे बढ़ने और ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए शिक्षा की जरुरत होती है। सभी छात्रों को निस्वार्थ भाव से एक शिक्षक ही शिक्षा प्रदान कर सकता है। शिक्षक हमारे अंदर की बुराइयों को दूर कर हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. शमीम शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें शिक्षक नहीं अपितु गुरु बनना चाहिए, जिसमें अपने विषय का पांडित्य और अपने पद की गरिमा हो। यह उसके आचरण से परिलक्षित होना चाहिए। शिक्षकों को अपना आचरण आदर्शपूर्वक रखना चाहिए, जिसकी प्रेरणा लेकर छात्र भावी जीवन में अपने लक्ष्य को सदाचारपूर्वक प्राप्त कर सकें। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत अधिक महत्व है। ‘गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। मतलब अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही आश्रमों में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह कुशलतापूर्वक होता रहा है। भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यधिक सम्मानित स्थान प्राप्त है।
मुख्यातिथि आई. जे. नाहल ने संबोधित करते हुए कहा कि अध्यापक यदि अपने चरित्र और व्यक्तित्व से शिक्षा दें तो सुयोग्य नागरिक का निर्माण होगा तथा राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक के सभी दायित्वों का पालन हो सकेगा। भारत के स्वर्णिम इतिहास में गुरु-शिष्य परम्परा के लिए अपना सर्वस्व दाव पर लगा देने वाले बहुत सारे गुरु व शिष्य रहे हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य की महान परम्परा के अन्तर्गत गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य को शिक्षा देता है या किसी अन्य विद्या में निपुण करता है बाद में वही शिष्य गुरु के रूप में दूसरों को शिक्षा देता है। यही क्रम लगातार चलता रहता है। यह परम्परा सनातन धर्म की सभी धाराओं में मिलती है। गुरु-शिष्य की यह परम्परा ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है।
कार्यक्रम के अंत में जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ राजेंद्र कुमार ने आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।