Teacher’s Day Celebration at JCDV
जेसीडी विद्यापीठ में धूमधाम से मनाया गया ‘गुरुर्ब्रह्मा शिक्षक दिवस।
शिक्षक के रूप में अपने रोल मॉडल को देखता है शिष्य: डाक्टर ढींडसा।
सिरसा 5 सितंबर, 2023: जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में ‘गुरुर्ब्रह्मा शिक्षक दिवस ‘ बहुत ही हर्षोल्लास से शिक्षण महाविद्यालय के सभागार कक्ष में मनाया गया। शिक्षक दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने शिरकत की तथा डॉ. गजेंदर सिंह, डीन, पंडित बी. डी. शर्मा यूनिवर्सिटी ओफ हेल्थ साइंसेज, रोहतक ने विशिष्ट अतिथि शिरकत की।
इस अवसर पर विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. सुधांशु गुप्ता, प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश, डॉ. अरिन्दम सरकार, प्राचार्या अनुपमा सेतिया, डॉ. शिखा गोयल, डॉ हरलीन कौर एवं सभी महाविद्यालय के प्राध्यापक गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ केक काटकर किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जयप्रकाश ने आएं हुए मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षक का हमारे जीवन में अमूल्य योगदान है। शिक्षकों के बिना यह मानव जीवन सार्थक नहीं है। हर किसी के जीवन में एक गुरु या शिक्षक का होना बेहद आवश्यक है। एक अच्छे अध्यापक में चरित्रवान, ज्ञानवान, अच्छे हावभाव एवं धैर्यवान के गुण होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं एक शिक्षक हूं।
मुख्य अतिथि डॉ . कुलदीप सिंह ढींडसा ने सभी शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां देते हुए कहा कि गुरु शिष्य का रिश्ता प्राचीनकाल से चलते रहा है और आज भी यह कायम है। उन्होंने शिक्षक दिवस की महत्ता एवं गुरु शिष्य के रिश्तों का व्याख्यान किया और कहा कि हमारे देश में गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊपर है। शिक्षक स्वयं जलता है, लेकिन छात्रों की ज़िन्दगी में ज्ञान का दीपक जलाता है। डाक्टर ढींढसा ने कहा कि एक शिक्षक और शिष्य के बीच में शिक्षा और ज्ञान का संबंध होता है। हमारे जीवन में शिक्षा और शिक्षक दोनों ही बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि हमारी जिंदगी को संवारने में हमारे माता-पिता के बाद इनकी भूमिका सबसे अहम होती है। जिस तरह से हमारे माता-पिता ही हमारे भगवान होते हैं, उसी प्रकार से हमारे गुरु में भी ईश्वर का वास होता है क्योंकि “गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुर साक्षात परब्रह्म:, तस्मै श्री गुरुवे नमः”। ये भी सच है कि बिना शिक्षक के हमें शिक्षा और ज्ञान नहीं मिल सकता। कहते हैं कि समय से बड़ा गुरु कोई नहीं होता, क्योंकि देर से ही सही मगर समय हमें सब कुछ सीखा देता है। लेकिन मैं मानता हूं कि हम सीखने में देर ही क्यों करें, क्यों न समय रहते ही हम अपने गुरु या शिक्षक से शिष्य के रूप में पहले से ही वो सीख या ज्ञान प्राप्त क्यों न कर लें, जिससे बाद में होने वाली परेशानी से बचा जा सके। क्योंकि वो एक शिक्षक ही होता है, जो हमें सीखता है कि मुश्किल चीजों का सामना कैसे करना है।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा अनेक सांस्कृतिक मनमोहन कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यातिथि द्वारा विद्यापीठ के सभी शिक्षकों को सम्मानित किया और प्रशंसा प्रमाण-पत्र दिए गए। मंच का संचालन डॉ. कोमल गोस्वामी एवं कमल ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम के अन्त में शिक्षण महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र कुमार ने मुख्यातिथि एवं अन्य अतिथियों का हार्दिक धन्यवाद किया।