The outbreak of SARS-CoV-2 virus is becoming a matter of concern: Dr. Dhindsa
SARS-CoV-2 वायरस का फुटाव बन रहा है चिंता का विषय: डाॅ. ढींडसा
सिरसा 27 अप्रैल 2023ः अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा के अनुसार पिछले कुछ समय में देश के विभिन्न भागों में कोविड के केसों में वृद्धि हुई है, भारत में लगभग प्रतिदिन 13000 नए केस पाए जा रहे हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अप्रैल-2020 के आंकड़ों अनुसार एक्टिव केस बढ़कर 65000 से अधिक हो गए हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व हरियाणा में अधिक तेजी से वृद्धि नोट की गई है। भारत में अप्रैल 2009 और 2015 के बीच पिछले सप्ताह की अपेक्षा 80 प्रतिशत अधिक केस पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि इनमें अधिकतर रोगी वह हैं जो अन्य बीमारियों से भी ग्रसित है।
वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में कोविड के केस बढे़ हैं और यह है पुनःसंयोजक (रिक्मबीनेंट) वैरिएंट एक्सबीबी और इसके उत्तराधिकारी एक्सबीबी.1.16 व एक्सबीबी.1.5 के कारण हुआ है जोकि माइक्रोन के सब-वेरिएंट्स है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि एक्सबीबी.1.16 जिसे ऐड-कटर्स के नाम से जाना जाता है दुनिया के विभिन्न हिस्सों में डोमिनेन्ट वैरिएंट है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वीयूएम ‘वैरिएंट अंडर माॅनिटरिंग’ का नाम दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सबीबी.1.16 में लगभग फरवरी से माॅर्च के बीच 21 से 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। अलग-अलग वैरीअंट के होने के बावजूद भी इनके लक्षण लगभग एक जैसे ही नजर आते हैं जैसेकि बुखार, जुकाम, बलगम, खांसी, गले में खराबी तथा शरीर में दर्द होना इत्यादि। डाॅ. ढींडसा के अनुसार कोविड-19 की पहचान के बाद जोकि मूल तौर पर वुहान में पाया गया था विभिन्न देशों में इसकी वैक्सीन बनाने के कार्य में तेजी आई है। मनुष्य की इस बीमारी से रक्षा के लिए फाइजर बाॅयोटेक व मॉडर्ना यूएसए, जिनेवा व भारत में कोविशिल्ड व जॉनसन एंड जॉनसन का यूएसए में अलग-अलग वैक्सीन का उत्पादन किया गया। यह भी सुझाया गया है कि समय के साथ-साथ वैक्सीन की बूस्टर डोज भी रोगियों को निरंतर लगाई जाए।
डॉ. ढींडसा ने कहा कि भारत में चिंता का विषय इस कारण से भी है कि एक मैथेमेटिकल मॉडल द्वारा मई के मध्य तक केसों में 50000 तक की वृद्धि की संभावना व्यक्त की जा रही है। अतःएव बुजुर्ग रोगियों तथा ऐसे रोगी जिन्हें अन्य बीमारियां भी हैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा सावधानी वर्तनी होगी, उनके लिए यह अतिआवश्यक है कि वह मास्क पहने तथा भीड़-भाड़ के इलाकों में जाने से बचने की कोशिश करें। डॉ. ढींडसा के अनुसार अब तक 200 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन लगभग पिछले 2 वर्षों में लगाई जा चुकी है जबकि केवल 20 प्रतिशत लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है।
डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने कहा कि हमें यह मानकर चलना चाहिए की एसएआरएस-कोव-2 (SARS-CoV-2) वायरस हमारे चारों ओर विद्यमान हैं और समय-समय पर इसका फुटाव होता रहेगा जिसके चलते हमें इनके साथ जीने की आदत डालनी होगी।