Two-day international webinar duly launched at JCD Memorial College
जेसीडी मेमोरियल कॉलेज में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का विधिवत् शुभारंभ
सिरसा 5 जून, 2020: शुक्रवार को जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित मैमोरियल कॉलेज द्वारा आयोजित करवाएं जा रहे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार के प्रथम दिवस में मुख्य वक्ता के तौर पर भारतीय मूल के कैलिफोर्निया के साइकेट्रिस्ट डॉ. आकाश आहूजा एवं चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजबीर सोलंकी ने प्रतिभागियों को ऑनलाइन संबोधित किया। इस कार्यक्रम में संस्थान से ऑनलाइन जुडऩे पर वक्ताओं का जेसीडी विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा एवं वेबीनार के संयोजक डॉ. जयप्रकाश द्वारा स्वागत किया गया एवं उनका आभार प्रकट किया गया। जेसीडी मैमोरियल कॉलेज द्वारा चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित इस वेबीनार मैं विश्व भर से लगभग 4500 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण करवाया तथा वक्ताओं के विचारों को सुना। इस मौके पर कैलिफ़ोर्निया के इंजीनियर कृष्ण हुडा द्वारा डॉ. आहूजा का परिचय दिया गया, वहीं इस वेबीनार में एमडीयू की जूलोजी विभाग की प्रो. डॉ. विनिता शुक्ला ने भी प्रतिभागियों के समक्ष अपने विचार प्रकट किए।
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वेबिनार के प्रथम दिन भारतीय मूल के कैलिफोर्निया के साइकेट्रिस्ट डॉ. आकाश आहूजा बोलते हुए मानसिक स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न टिप्स प्रतिभागियों को दिए। उअपनी मनन् स्थिति को सुदृढ़ करके और नकारात्मक भावों के ऊपर नियंत्रण करके कोरोना महामारी के काल में अपनी प्रतिभा अनुसार प्रत्येक कार्य बेहतर से बेहतर किया जा सकता है। एक स्वस्थ शरीर के अंदर ही स्वस्थ मस्तिष्क विराजमान होता है इसलिए इस समय हमें अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए। महामारी की वैक्सीन आदि की खोज करने में विश्व भर के डॉक्टर तथा साइंटिस्ट लगे हुए हैं और उन्हें निश्चित रूप से इस संबंध में सफलता हासिल होगी। महामारी की वजह से विश्व भर में आर्थिक मंदी आने की वजह से रोजगार के अवसर कम हुए हैं और सप्लाई चैन प्रभावित हुई है और स्थिति को सामान्य होने में समय लगेगा। इस दौरान हमें अपने हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना है और लोकडाउन को अवकाश न समझकर इस समय का सदुपयोग करते हुए अपने कौशल को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि स्थिति से घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि धैर्य का परिचय देते हुए बदलते माहौल के अनुसार अपने आपको डाल के भावी योजनाएं तैयार की जानी चाहिए। आने वाला समय उन सबके लिए बेहतर होगा जो इस मंदी के समय में संयम रखते हुए भविष्य की बाजार संबंधी अवस्थाओ के अनुरूप कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की सूचनाएं हमें ग्रहण तो कर लेनी चाहिए लेकिन उनका विश्लेषण एवं सत्यता की जाँच अपने विवेक के हिसाब से करनी चाहिए। डॉक्टर आहूजा ने कहा कि आपके बस में जो चीजें हैं उन पर आप को ध्यान देना चाहिए बाकी समय के साथ अपने आप ठीक हो जाएंगी। कैलिफ़ोर्निया के इंजीनियर कृष्ण हुड्डा ने भी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में रोजगार हासिल करने वाले विद्यार्थियों को अपने सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने के साथ-साथ इनोवेटिव आइडियाज के साथ बाजार में उतरना होगा तभी उनको सफलता हासिल हो सकेगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. राजबीर सोलंकी ने सर्वप्रथम इस आयोजन के लिए जेसीडी की प्रबंधन समिति एवं कॉलेज की सम्पूर्ण टीम का आभार प्रकट करते हुए कहा कि लंबे समय तक खुश रहने के लिए गुणवत्ता परक और मूल्य आधारित शिक्षा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान में कोविड-19 की वजह से विश्व के लगभग 220 राष्ट्र प्रभावित हैं। गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान करके और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाकर राष्ट्र को प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है। प्रोफेसर राजबीर सोलंकी ने बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कहा कि सतत विकास के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएंअत्यंत आवश्यक है। भारत के अंदर पिछले 2 माह में ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम के अंदर बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। पूरे पूरे विश्व के शैक्षणिक संस्थानों की ऑनलाइन मोड पर निर्भरता ब?ी है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा आज समय की मांग है इसी लिये राष्ट्र के सभी शैक्षिक संस्थान इसे अपना भी रहे हैं। लोक डाउन के दौरान इसी मेथड से विद्यार्थियों तथा प्राध्यापकों ने अपने कौशल के अंदर वृद्धि की है। कहां की बदलाव प्रकृति का नियम है और कोविड-19 की वजह से बदले हुए इस माहौल में जो राष्ट्र अपने आप को अपनी आवश्यकताओं को समय अनुसार परिवर्तित करेगा वही राष्ट्र विश्व भर में अपना दबदबा कायम करने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थानों को सुनिश्चित करना होगा कि ऑनलाइन टीचिंग हो और साथ के साथ गुणवत्ता परक विषय वस्तु विद्यार्थियों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस महामारी के चलते विद्यार्थियों के मन में परीक्षाओं को लेकर परिणामों को लेकर रोजगार को लेकर कासगंज की स्थिति आसमान की तिथि उत्पन्न होना स्वाभाविक है लेकिन प्राध्यापकों को इस समय विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करना चाहिए और सकारात्मक ऊर्जा का विद्यार्थियों के अंदर संचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक डाउन की वजह से विद्यार्थियों का स्क्रीन पर समय बड़ा है और फिजिकल क्लासरूम का स्थान वर्चुअल क्लासरूम ले लिया है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों को अपनी सेहत का भी ध्यान रखना होगा और योगा व प्रणायमके माध्यम से समय का सदुपयोग करके और अपनी दिनचर्या के अंदर बदलाव करके अच्छा शरीर व अच्छा मस्तिष्क विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं की जल्द से जल्द माहौल ठीक हो और फिजिकल क्लासरूम प्रारंभ हो लेकिन हमें साथ-साथ ऑनलाइन क्लासेज के लिए भी तैयार रहना होगा। भविष्य में सीमित संसाधनों के साथ गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षिक संस्थानों को तैयार रहना होगा। शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भारतीय नागरिकों में 2 माह के दौरान काफी जागरूकता देखने को मिली है व लोगों ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को अपनाना प्रारंभ किया है। पर्यावरण काफी शुद्ध हुआ है। आर्थिक गतिविधियों मंदी तो जरूर आई है लेकिन कहीं ना कहीं भारतीय उद्यमियों ने स्वावलंबी होने की तरफ भी पदार्पण किया है। डॉ. सोलंकी ने मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता और सकारात्मक सोच को अपनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना को मात देने की अपील की।
इस वेबीनार की अध्यक्षता जेसीडी विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि इस कोरोना-19 महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है तथा हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कारों को पुन: जीवित करके उनमें निहित अच्छे आचरणों को अपनाना होगा तभी इस महामारी से हम सुरक्षित रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह सभी सावधानियां जो आज कोरोना से बचाव हेतु बताई जा रही है वहीं पौराणिक काल में हम अपनाया करते थे केवल जरूरत है तो उन्हें समझने की तथा अपनाने की। डॉ. शर्मा ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि हमारे विद्यार्थी, शिक्षक तथा अन्य संस्थानों के प्रतिभागी भी बेहतर शिक्षा हासिल कर पाएं इसीलिए हम समय-समय पर ऐसे आयोजन करवाते रहते हैं ताकि सभी को घर बैठे ही वक्ताओं के विचार सुनने को मिल सकें।
जबकि सांयकालीन सत्र के दौरान महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की प्रोफेसर विनीता शुक्ला ने कोरोना काल के दौरान पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार रखें। उन्होंने बताया कि इस प्रकार मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ की और प्रदूषण रूपी समस्या ने विकराल रूप धारण कर रखा था। उन्होंने कहा कि इसरो ने महामारी की वजह से विश्व भर में लोगों की रफ्तार को ब्रेक लगा और पर्यावरण के अंदर वायु शुद्धता के अंक में निरंतर वृद्धि हुई और महानगरों में जहां प्रदूषण की वजह से जीना दूभर हो रखा था वहां के हालात में सुधार आया। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों की वेस्ट की वजह से गंगा मैली हो चुकी थी उस गंगा के सव्छ्ता स्तर में भी काफी सुधार आया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 काल के दौरान भी मनुष्य को अपनी आवश्यकताएं सीमित करनी होगी और प्राकृतिक संसाधनों का सोच समझकर इस्तेमाल करना होगा ताकि आने वाली पीढिय़ों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
अंत में वेबीनार के संयोजक डॉ जयप्रकाश ने मुख्य अतिथि एवं अन्य वक्ताओं का इस वेबीनार से जुड़कर महत्वपूर्ण जानकारी सांझा करने के लिए आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद किया गया। उन्होंने कहा कि हमारा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है इसीलिए इस समय में स्वस्थ रहना अति आवश्यक है।