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Valedictory Function of 2 days International conference
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  • March 28, 2018
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Valedictory Function of 2 days International conference

जेसीडी विद्यापीठ में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
शोध के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं – प्रो.दिलबाग सिंह

जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित शिक्षण महाविद्यालय के सौजन्य से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विज्ञान, प्रबंधन, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में हाल के शोध और नवाचार विषय (ICRRISMET-2018) का बुधवार को विधिवत् समापन हुआ। इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में चौ.देवीलाल विश्वविद्यालय के प्रो.दिलबाग सिंह ने बतौर मुख्यातिथि उपस्थित हुए तथा कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि नाइजीरिया से आये हुए मोहमद आदम युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलाजी, योला के सूचना एवं तकनिकी विभाग के प्रो.अबूबकर मोहम्मद रहे। वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के प्रबंधन समन्वयक इंजी.आकाश चावला व शैक्षणिक निदेशक डॉ.आर.आर.मलिक द्वारा की गई। इस मौके पर शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर चंडीगढ़ राजकीय रिहैबीलेशन इन्स्टिटूट फॉर आईडी के सहायक प्रोफेसर डॉ.वसीम अहमद ने बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर निःसक्तता के बारे जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि 1995 के एक्ट के अनुसार निःशक्तता 7 प्रकार की होती थी जो कि अब बढ़कर 2016 के तहत 21 हो चुकी है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया वे अपने-अपने गांवों में निःशक्त ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़कर उनकी हरसंभव सहायता करें ताकि उन्हें उनके अधिकारों के अनुसार बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकें।

इस अवसर पर विद्यापीठ के शैक्षणिक निदेशक डॉ मलिक ने मुख्य अतिथि व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त परिचय दिया और शोधार्थियों से निवेदन किया कि वे अपने शोध व अन्वेषण के क्षेत्र में उनका कार्य किस दिशा और दशा की तरफ जा रहा है यह सोचने का विषय है। आज भारत वर्ष में 850 से अधिक विश्वविद्यालय और 37000 से अधिक महाविद्यालय हैं इतने अधिक संख्या में शैक्षणिक संस्थान होने के बावजूद विश्व स्तर पर हमारे भारत के विश्वविद्यालयों की स्थिति सोचनीय है। हम आज भी विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे हैं। हमें नए कौशल, नई शिक्षण विधियां आदि पर विशेष जोर देना होगा, विशेषकर युवा प्राध्यापकों को जिनके हाथों में आज देश का भविष्य है उनको शोध की दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो.अबूबकर मोहम्मद ने इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी और उन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता की विशेष प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कोई भी शोध कार्य हो वह समाज व समुदाय के लिए विशेष महत्व वाला होना चाहिए, तभी शोध कार्य सफल सिद्ध हो सकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर दिलबाग सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारतवर्ष शिक्षा के क्षेत्र में विशेषकर शोध कार्य में विश्व स्तर पर उतना स्थान नहीं है जितना होना चाहिए। हमारा देश आज भी प्रौद्योगिकी, शिक्षा और प्रबंधक के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है, उन्होंने शोधार्थियों से निवेदन किया कि शोध कार्य में गुणवत्ता का होना बहुत अनिवार्य है। उन्होंने अपने व्याख्यान में शोध विषय पर भी विशेष चर्चा की और कहा कि आज का युग तकनीकी युग है, टेक्नोलॉजी में विशेष बढ़ावा दिया जाना चाहिए और वह तभी संभव हो सकता है जब हम तकनीकी शोध कार्य करे । शोधार्थी का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए। शोध के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं लेकिन शोधार्थी को उन चुनौतियों का सामना डट कर करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि भारतीय शोधार्थी ज्यादातर जुगाड़ तकनीकी में विश्वास करते हैं उनसे उनको परहेज करना चाहिए। उन्होंने इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 150 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए और 200 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकृत करवाया। श्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले शोधार्थियों में मोहम्मद अब्बा अलकली मोहमद आदम युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलाजी, योला के सूचना एवम् तकनिकी विभाग को प्रथम, अमित कुमार को द्वितीय व डॉ.सपना को तृतीय घोषित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक सचिव डॉ.राजेन्द्र कुमार ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर विद्यापीठ के सभी कॉलेजों के प्राचार्यगण व रजिस्ट्रार श्री सुधांशु गुप्ता एवम् समस्त स्टाफ सहित डॉ अतुल कुमार, सी.ई.ओ कॉन्फ्रेंस वर्ल्ड व के.जी.आई.टी.एम गाजियाबाद के इलैक्ट्रोनिक्स विभागाध्यक्षा डॉ रेणु गुप्ता सहित अनेक शोधार्थी उपस्थित थे।

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