Birthday celebration for Sh Arjun Singh Chautala
पंचवटी लगाकर मनाया गया अर्जुन सिंह चौटाला का जन्मदिवस।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए करें पंचवटी के पौधों का रोपण: प्रोफेसर ढींडसा
सिरसा 03 अगस्त 2023: चौधरी देवी लाल मेमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन श्री अभय सिंह चौटाला के आशीर्वाद से उनके सुपुत्र एवं जेसीडी विद्यापीठ के अध्यक्ष श्री अर्जुन सिंह चौटाला के 32 वें जन्म दिवस पर आज विद्यापीठ के प्रांगण में पंचवटी पौधारोपण कर मनाया गया। इन दिनों परिवर्तन यात्रा में व्यवस्था के कारण श्री अभय सिंह चौटाला स्वयं इस पौधारोपण में उपस्थित नहीं हो पाए। इस पंचवटी पौधारोपण का शुभारंभ जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा द्वारा किया गया। इस अवसर पर उनके साथ प्राचार्य गण डॉ जयप्रकाश, डॉक्टर अरिंदम सरकार , डॉक्टर अनुपमा सेतिया , डॉ शिखा गोयल , डॉक्टर हरलीन कौर , डॉक्टर राजेश गर्ग के इलावा कुलसचिव डॉक्टर सुधांशु गुप्ता एवं विभिन्न कॉलेजों के कर्मचारी गण उपस्थित रहे। इस अवसर पर छः पंचवटी वाटिका लगाई गई। यह प्रक्रिया एक ब्राह्मण के द्वारा विधि पूर्वक एवं भूमि पूजन और वृक्ष पूजन के पश्चात की गई।
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डॉक्टर ढींडसा ने बताया कि जेसीडी विद्यापीठ को और अधिक हरा-भरा बनाने के लिए भविष्य में हजारों पौधे लगाने की योजना है। ज्ञातव्य है कि वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी क्षेत्र में पर्णकुटी बनाकर रहे थे। पंचवटी नासिक के पास गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। लक्ष्मण ने यहां पर एक पर्णकुटी बनाई थी। ये ही वो जगह है जहां राम और सीता, लक्ष्मण के साथ एक कुटिया बनाकर रहे थे।
प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि पंचवटी के पेड़ जिसमें बरगद , पीपल , बेल पत्थर या श्री फल, आंवला और अशोका के पेड़ हैं और ये हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे भारतीय मूल के धर्मों के लिए पवित्र पेड़ हैं। डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि इन पांच वृक्षों में अद्वितीय औषधीय गुण हैं। आंवला विटामिन “सी” का सबसे समृद्ध स्त्रोत है एवं शरीर को रोग प्रतिरोधी बनाने की महौषधि है।बरगद का दूध बहुत बलदायी होता है। इसके प्रतिदिन प्रयोग से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। पीपल के पेड़ की छाल के अंदरूनी सूखे हुए भाग का चूर्ण बनाकर खाने से सांस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती है। बेल पेट सम्बन्धी बीमारियों का अचूक औषधि है तो अशोक स्त्री विकारों को दूर करने वाला औषधीय वृक्ष है।
डॉ ढींडसा ने जैव विविधता संरक्षण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पंचवटी में निरन्तर फल उपलब्ध होने से पक्षियों एवं अन्य जीव-जन्तुओं के लिए सदैव भोजन उपलब्ध रहता है एवं वे इस पर स्थाई निवास करते हैं। पीपल व बेल का फल ग्रीष्म ऋतु में पकता है तो बरगद का वर्षाकाल एवं आंवला का जाड़े में। पीपल व बरगद कोमल काष्ठीय वृक्ष हैं जो पक्षियों के घोंसला बनाने के लिए उपयुक्त हैं।बरगद के पेड़ का उपयोग प्राचीन काल से ही कई औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है। बरगद के पेड़ की छाल जलन, अल्सर और दर्दनाक त्वचा रोगों में उपयोगी मानी जाती है। इसका उपयोग सूजन और दांत दर्द में भी किया जा सकता है।
डॉ ढींडसा ने पंचवटी का धार्मिक महत्व बताते हुआ कहा कि बेल पर भगवान शंकर का निवास माना गया है तो पीपल पर विष्णु एवं वट वृक्ष पर ब्रह्मा का। उन्होंने पंचवटी का पर्यावरणीय महत्व को बताते हुआ कहा कि बरगद शीतल छाया प्रदान करने वाला एक विशाल वृक्ष है। गर्मी के दिनों में अपरान्ह में जब सुर्य की प्रचन्ड किरणें असह्य गर्मी प्रदान करता हैं एवं तेज लू चलती है तो पंचवटी में पश्चिम की तरफ़ स्थित वट वृक्ष सघन छाया उत्पन्न कर पंचवटी को ठंडा करता है।पीपल प्रदुषण शोषण करने वाला एवं प्राण वायु उत्पन्न करन वाला सर्वोतम वृक्ष है।अशोक सदाबहार वृक्ष है यह कभी पर्ण रहित नहीं रहता एवं सदॆव छाया प्रदान करता है।बेल की पत्तियों, काष्ठ एवं फल में तेल ग्रन्थियां होती हैं जो वातावरण को सुगन्धित रखती हैं।