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Haryana Sahitya Academy will honor Dr. Shamim Sharma with the Best Creator Award (Female)
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  • February 19, 2021
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Haryana Sahitya Academy will honor Dr. Shamim Sharma with the Best Creator Award (Female)

Dr. shamim Sharmaडॉ. शमीम शर्मा को श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से सम्मानित करेगी हरियाणा साहित्य अकादमी
सिरसा जिला के तीन अन्य साहित्यकार डॉ. रूप देवगुण, डॉ. राजकुमार निजात व डॉ. शील कौशिक भी विभिन्न सम्मान से होंगे सम्मानित

सिरसा 19 फरवरी, 2021 : जेसीडी विद्यापीठ में उस समय एक खुशी की लहर दौड़ गई जब यह समाचार प्राप्त हुआ कि प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा को हरियाणा साहित्य अकादमी हरियाणा द्वारा वर्ष 2017 के लिए श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से सम्मानित करने पर मुख्यमंत्री द्वारा मुहर लगाई गई। गौरतलब है कि हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान योजना वर्ष 2017, 2018 तथा 2019 के लिए विभिन्न सम्मानों हेतु साहित्यकारों का चयन किया गया है। यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल ने बताया कि अकादमी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इन सम्मानों की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। जिसमें श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान के अंतर्गत वर्ष 2017 के लिए हिसार निवासी डॉ. शमीम शर्मा तथा पंडित माधव प्रसाद मिश्र सम्मान के अंतर्गत वर्ष 2018 के लिए सिरसा निवासी डॉ. शील कौशिक एवं बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान के अंतर्गत वर्ष 2018 के लिए सिरसा निवासी डॉ. रूप देवगुण तथा डॉ. राजकुमार निजात का चयन किया गया है।

इस बारे अपने विचार प्रकट करते हुए तथा खुशी का इजहार करते हुए डॉ. शमीम शर्मा ने सर्वप्रथम इस चयन के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपना कर्म करते हुए सदैव सकारात्मकता अपनाकर आगे बढऩा चाहिए तो उसको सम्मान अवश्य मिलता है तथा वह कार्य उसे हमेशा अच्छा फल ही देता है। उन्होंने कहा कि मैंने सदैव साहित्य के प्रति समर्पण भाव रखते हुए अपना कार्य किया है। डॉ. शर्मा ने अपने इस सम्मान का श्रेय अपने पिताजी व सुविख्यात साहित्यकार तथा रचनाकार स्व. पूरन मुद्गिल को देते हुए कहा कि यह उनका प्रताप तथा शुभाशीष ही है जो उन्हें यह सम्मान मिल रहा है क्योंकि उन्होंने सदैव बेहतर ज्ञान प्रदान किया था जो आज भी लेखनी के माध्यम से जीवंत है तथा सदैव ही जिंदा रहेगा। उन्होंने इस सम्मान के लिए अपने परिवार, रिश्तेदारों व सगे-सम्बन्धियों के अलावा समस्त शिक्षाविदें व साहित्यकारों तथा सहयोगियों का भी उन्हें इस काबिल बनाने के लिए आभार प्रकट किया।

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