Makar Sankranti Celebration at JCD Vidyapeeth, Sirsa.
जन नायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
सिरसा 14 जनवरी, 2023:. जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में मकर संक्रान्ति एवं लोहड़ी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पर्व में मुख्यातिथि विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा एवं विद्यापीठ के विभिन्न महाविद्यालयों के सभी प्राचार्यों ने अग्नि जलाकर उसमें मूंगफली एवं रेवड़ी प्रज्वलित की गई और प्रसाद वितरण किया। इस दौरान विद्यापीठ के महिला प्राध्यापकों ने जमकर लोहड़ी पर्व एवं मकर संक्रांति का आनंद लिया और तिल, मूंगफली और रेवड़ी भेंट कर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। विद्यापीठ की छात्राओं ने लोहड़ी के पारंपरिक गीत सुंदर मुंदरिये हो.. तेरा कौन बेचारा हो….दुल्ला भट्टी वाला, .. हो दुल्ले घी व्याही, ..सेर शक्कर आई, हो कुड़ी दे बाझे पाई,.. हो कुड़ी दा लाल पटारा हो.. गाकर लोहड़ी मांगी। शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश ने आएं हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए मकर संक्रांति एवं लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई देते हुए कहा कि लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है. यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर इस त्योहार का उल्लास रहता है। ये पर्व हम सभी के जीवन में नई खुशियाँ और नई मिठास लेकर आता है।
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मुख्यातिथि डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोहड़ी की उत्पत्ति को रबी फसलों की फसल के उत्सव से जोड़ा जाता है, जिसमें गेहूं, गन्ना और सरसों शामिल हैं। यह त्योहार अग्नि के देवता अग्नि की पूजा से भी जुड़ा हुआ है और इसे भरपूर फसल के लिए धन्यवाद समारोह माना जाता है। त्योहार एक अलाव जलाकर मनाया जाता है, जो अग्नि देवता का प्रतीक है। डॉ.ढींडसा ने कहा कि लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे बहुत-सी ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित है। जब पंजाब में फसल काटी जाती है और नई फसल बोई जाती है इसे किसानों के नया साल भी कहा जाता है और साथ में इस लोहड़ी के पर्व मनाने के पीछे बहुत-सी ऐतिहासिक और धार्मिक कथाओं को महत्व दिया जाता है जैसे की – सुंदरी-मुंदरी और डाकू दुल्ला भट्टी की कथा, भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा, संत कबीर दास की पत्नी लोई की याद में, आदि। डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि ये पर्व हमें आपस में मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है। ये पर्व हर्ष-उल्लास एवं आपसी भाईचारे व सामाजिक सौहार्द का प्रतीक हैं। लोहड़ी की आग में रेवड़ी, मूंगफली, रवि की फसल के तौर पर तिल, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि इस तरह सिख समुदाय सूर्य देव और अग्नि देव का आभार व्यक्त करते हैं। इनकी कृपा से फसल अच्छी होती है और घर में समृद्धि आती है। अंत में डॉ शिखा गोयल द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया।
इस अवसर पर विद्यापीठ के प्राचार्य गण डॉक्टर जय प्रकाश ,डॉक्टर अरिंदम सरकार, डॉक्टर दिनेश कुमार गुप्ता , डॉ अनुपमा सेतिया , डॉक्टर शिखा गोयल , हरलीन कौर प्राध्यापकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।