One Day National Seminar
जेसीडी विद्यापीठ में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
वास्तविक शिक्षा एक अच्छे इंसान और समाज का निर्माण करती है:- डॉ. दिप्ति धर्माणी
सिरसा 18 अप्रैल, 2025, जेसीडी विद्यापीठ, सिरसा में स्थित शिक्षण महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी विषय ‘शिक्षा, फार्मेसी, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विज्ञान और मानविकी में नवीन प्रौद्योगिकी का एकीकरण’ पर का आयोजन किया गया। जिसमें उद्घाटन सत्र के बतौर मुख्यातिथि प्रोफेसर (डॉ.) दीप्ति धर्माणी, कुलपति चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी , कुलपति इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर रिवाड़ी थी ।वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जेसीडी जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ. जय प्रकाश द्वारा की गई व विशिष्ट अतिथि डॉ. निवेदिता, डीन, शिक्षा संकाय, डॉ. रंजीत कौर, अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, डॉक्टर ईश्वर मलिक प्रोफेसर शारीरिक शिक्षा विभाग, डॉक्टर सुरेन्द्र अहलावत चौधरी देवी लाल यूनिवर्सिटी सिरसा , डॉक्टर राजेंद्र जाखड़ प्राचार्य नेहरू कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन मंडी डबवाली रहे । उद्घाटन समारोह में विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. सुधांशु गुप्ता, प्राचार्या डॉ. शिखा गोयल, प्राचार्य डॉ. मोहित कुमार, प्राचार्य वीरेन्द्र कुमार, डॉ. रणदीप कौर, प्रोफेसर प्रदीप कम्बोज , डॉक्टर अमरीक गिल सहित अन्य महाविद्यालयों प्राचार्यगण एवं प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. जयप्रकाश ने सर्वप्रथम सभी अतिथियों, शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि अपने देश की परिस्थिति, जीवन मूल्यों, और अपनी संस्कृति को समझते हुए एक स्वदेशी सिस्टम विकसित करने की चुनौती हमारे सामने है। डॉ. जय प्रकाश ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी विशेषज्ञ को एक मंच प्रदान करेगा जहां वे अपने-अपने क्षेत्रों में गहराई से विचार-मंथन करेंगे। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा होगी कि हम विभिन्न डिजिटल संसाधनों का उपयोग करके भविष्य के शिक्षकों को कैसे तैयार कर सकते हैं और वे विभिन्न डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके छात्रों को शिक्षा कैसे देते हैंॽ
मुख्यातिथि प्रोफेसर (डॉ.) दीप्ति धर्माणी ने संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है जोकि बिल्कुल भी गलत नहीं है। यह इस बात से काफी अच्छी तरह स्पष्ट हो जाता है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेज अपने कोर्सेज को आसान और किफायती बनाने के साथ-साथ व्यापक रूप से अपने कोर्सेज अधिक से अधिक छात्रों को उपलब्ध करवाने के विकल्प तलाश रहे हैं। अध्यापन कोई स्थिर व्यवसाय नहीं है बल्कि प्रौद्योगिकी, सदैव बदलते ज्ञान, वैश्विक अर्थशास्त्र के दबावों और सामाजिक दबावों से प्रभावित होकर बदलता रहता है। इसका मतलब है कि इन परिवर्तनों को संबोधित करने के लिए अध्यापन के तरीकों और कौशलों का लगातार अद्यतन और विकास आवश्यक है। शिक्षकों का बदलाव की क्षमता से युक्त होना अनिर्वाय है। शिक्षक, योजनाकार, शोधकर्ता आदि सभी लोग व्यापक पैमाने पर इस बात से सहमत दिखाई देते हैं कि शिक्षा से शिक्षा पर सकारात्मक और महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमताएं मौजूद हैं। केवल आईसीटी के अस्तित्व में होने से ही शिक्षकों की पद्धति नहीं बदलेगी। हालांकि, आईसीटी शिक्षकों को अपने शिक्षण पद्धति को बदलने तथा अधिक सक्षमता प्राप्त करने में मदद कर सकती है, बशर्ते आवश्यक स्थितियां उपलब्ध करा दी जाएं। शिक्षकों की शैक्षणिक पद्धतियां और तार्किकता उनके द्वारा आईसीटी के उपयोग को प्रभावित करती है, और शिक्षक द्वारा आईसीटी के उपयोग की प्रकृति छात्र की उपलब्धि को प्रभावित करती है। डॉ. दीप्ति धर्माणी जो लंबे समय से शिक्षा से जुड़ी हुई हैं, ने अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए। उन्होंने नैतिक मूल्यों और हमारी संस्कृति को समाज की प्रगति का आधार बताते हुए विद्यार्थियों से इन मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया। कहा कि प्रौद्योगिकी में शिक्षण और सीखने के परिदृश्य को गहराई से बदलने की परिवर्तनकारी क्षमता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षमता को केवल जानबूझकर, विचारशील कार्यान्वयन, शिक्षकों के लिए निरंतर पेशेवर विकास और छात्र केंद्रित, समावेशी और गतिशील सीखने के अनुभवों को बढ़ावा देने वाले तरीकों से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की व्यापक समझ के माध्यम से ही साकार किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. निवेदिता ने संबोधित करते हुए कहा कि आईसीटी का उपयोग करने के लिए ज्ञान और कौशल अपर्याप्त हैं। उन्होंने छात्र-केंद्रित शिक्षण दृष्टिकोण, शैक्षणिक नवाचार और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रौद्योगिकी के एकीकरण के महत्व को रेखांकित किया और शिक्षण प्रभावशीलता और छात्र जुड़ाव को बढ़ाने के लिए संकाय सदस्यों के लिए निरंतर पेशेवर विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. रंजीत कौर ने संबोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा छात्रों की सहभागिता और सीखने के परिणामों को बढ़ाने के लिए नई शिक्षण विधियों, प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों की खोज करके शैक्षणिक नवाचार को बढ़ावा देती है।
इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक शोधार्थियों ने अपने शोध पेपर प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. राजेन्द्र कुमार ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।