Say no to tobacco, say yes to nutritious food – Dr. Dhindsa
तम्बाकू को कहे ना, पौष्टिक आहार को कहे हां – डाॅ. ढींडसा
सिरसा 31 मई 2023: अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में तंबाकू के कारण 80 लाख से अधिक मौतें प्रतिवर्ष होती है, जिनमें 12 लाख ऐसी मौतें है जो धुम्रपान करने वाले लोगों के संगत में बैठने से होती है। तंबाकू सभी रूपों में चाहे वह बीड़ी, सिगरेट, हुक्का या जर्दा हानिकारक है। कुछ लोग इसका सेवन मानसिक परेशानी या अवसाद को दूर करने के लिए, खुशी के लिए या समाज में दिखावे के लिए करते हैं जोकि गलत है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में तंबाकू सेवन करने वालों में से लगभग 80 प्रतिशत ऐसे देशों में रहते हैं जिनकी गणना मिडल क्लास एवं गरीब देशों में होती है। तंबाकू पर होने वाले व्यय के कारण साधारण घरों में गरीबी बढ़ती है तथा दूसरी आवश्यकताएं जैसे- भोजन, मकान पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार विश्व में 20वीं सदी में 100 मिलीयन असमय मौतें हुई और यदि आगे भी यही चलन रहा तो 21वीं सदी में मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है।
भारत में धुम्रपान असमय मौतों का मुख्य कारण है तथा इससे 1.35 मिलीयन लोग असमय मृत्यु के ग्रास में चले जाते हैं। भारत न केवल तंबाकू की खपत करने में अग्रणी देश है बल्कि तंबाकू के उत्पादन में भी विश्वभर में इसका दूसरा स्थान है। भारत में लगभग 7 लाख 61 हजार 335 टन तंबाकू की पैदावार होती है और यहां यह बहुत कम दाम में उपलब्ध भी है। लोगों से तंबाकू की लत को छोड़ने का आह्वान करते हुए डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने कहा कि प्रायः एकदम से धुम्रपान छोड़ देना संभव नहीं होगा और यह स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है, इसलिए यदि इसको धीरे-धीरे छोड़ा जाए तो लगभग 1 या 2 माह में यह पूरी तरह छोड़ा जा सकता है।
धुम्रपान छोड़ने के लाभों के बारे में बताते हुए डाॅ. ढींडसा ने कहा कि यह वैज्ञानिक तौर पर स्पष्ट हो चुका है कि धुम्रपान छोड़ने के पहले 8 घंटे में ही शरीर में आॅक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है। इसके 24 घंटे में हाॅर्ट अटैक होने की संभावना कम हो जाती है तथा 72 घंटों में फेफड़ों की कार्य प्रणाली काफी हद तक सुधर जाती है। उन्होंने बताया कि 1 से 9 माह में खांसी ओर सांस फूलने की बीमारी काफी कम हो जाती है और धीरे-धीरे लुप्त प्रायः हो जाती है। धुम्रपान निषेध के 12 महीने के बाद दिल की बीमारियों की संभावना आधी रह जाती है। 5 वर्ष के बाद हृदयाघात का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है जबकि 15 वर्ष के बाद हृदय की बीमारियांे का खतरा सामान्य व्यक्ति, जोकि बिल्कुल भी धुम्रपान नहीं करता है उसके समान हो जाता है। परिणामस्वरूप तम्बाकू द्वारा हुई किसी भी प्रकार की बीमारियों के इलाज पर खर्च नाममात्र ही रह जाता है जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार आता है। धुम्रपान छोड़ने वाला समाज के लिए एक रोल माॅडल बन जाता है। डाॅ. ढींडसा ने कहा कि आज हमें धुम्रपान की नहीं बल्कि पौष्टिक आहार की आवश्यकता है ताकि हम एक स्वस्थ परिवार, समाज एवं समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकें।