Status of T.B disease in India
टी.बी. के 27 प्रतिशत मामले व 35 प्रतिशत मौतें भारत में – डाॅ. ढींडसा
सिरसा 20 अगस्त 2023: अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ सिरसा के महानिदेशक डाॅ. कुलदीप सिंह ढींडसा के अनुसार टीबी एक घातक रोग है और निर्धनता एवं कुपोषण ग्रस्त लोगों में रोगियों की संख्या अधिक पाई जाती है ! एक शोध के अनुसार निर्णायक रूप से यह तथ्य सामने आया कि आहार सहायता के हस्तक्षेप के साथ टी.बी. रोगियों की मृत्यु दर का जोखिम 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है, खासकर अगर यह दो महीने के भीतर वजन बढ़ने की ओर जाता है । रोगियों को चावल, दाल, दूध पाउडर, तेल और मल्टीविटामिन के 10 किलो खाद्य पैकेज का मासिक प्रावधान देने से छह महीने तक पीड़ितों के संपर्क में रहने वाले लोगों में टीबी के सभी रूपों की घटनाओं को 40 प्रतिशत और संक्रामक फेफड़ों की टीबी की घटनाओं को 50 प्रतिशत तक की कमी पाई गई है । संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए परिवार के सदस्यों को प्रति माह व्यक्ति 5 किलो चावल और 1.5 किलो दाल की आवश्यकता होती है।
डाॅ. ढींडसा ने कहा कि बेहतर उपचार परिणामों के लिए नैदानिक देखभाल को पोषण संबंधी सहायता द्वारा पूरक करने की आवश्कता है, यह कदम 2025 तक टीबी और टीबी मृत्यु दर को बड़े पैमाने पर खत्म करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना के लिए एक बूस्टर शाॅट होगा। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 2022 के अनुसार इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण आवश्यक है विशेषकर यह देखते हुए कि भारत में टीबी के 27 प्रतिश तमामले और विश्व स्तर पर टीबी से होने वाली मौतों का 35 प्रतिशत हिस्सा है।
डाॅ. ढींडसा ने आगे बताया कि राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण 2019-21 से पता चला है कि भारत में तपेदिक का बोझ पहले के अनुमान से 1.6 गुना अधिक है । इन हालात में सभी वंचित वर्गो को पौष्टिक आहार राशन प्रदान करना इस बीमारी को खत्म करने के लिए बेहतर काम करेगा क्योंकि यह देखा गया है कि रोगसूचक आबादी का 64 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठाता है तथ लक्षणों को अनदेखा करना पसंद करता है या उन्हें टीबी के संकेतक के रूप में नहीं पहचानता है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि टी.बी. के रोगियों को दवा के साथ- साथ एक स्वस्छ एवं प्रदूषण -रहित वातावरण व पौष्टिक आहार प्रदान किया जाए। साथ ही रोगियों को धुएं वाले स्थानों से दूर रखा जाए। रोगी के परिवार के सदस्यों को भी डाॅक्टर की सलाह के अनुसार निवारक औषधियों लेनी चाहिए।