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The two-day International Webinar held at JCD Memorial College concluded
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  • June 6, 2020
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The two-day International Webinar held at JCD Memorial College concluded

जेसीडी मेमौरियल कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का समापन
4 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा, कोरोना पर सुनें वक्ताओं के विचार किया आत्ममंथन

सिरसा 6 जून, 2020: जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित मैमोरियल कॉलेज द्वारा आयोजित करवाएं जा रहे दो दिवसीय ‘मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण के दृष्टिकोण, विश्व अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के भविष्य पर कोविड-19 का प्रभाव’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का शनिवार को विधिवत् समापन हुआ, जिसके समापन सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर अमेरिका से कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सोनिकप्रीत ओलख, जेएनयू के भूतपूर्व कुलपति प्रो. डॉ. एम.एम. गोयल, एमडीयू रोहतक की शिक्षा विभाग की पूर्व डीन डॉ. इंदिरा ढुल व बीएमएल विश्वविद्यालय गुरुग्राम की सह-प्राध्यापिका डॉ. रितू छिंकारा ने अपने विचार रखे। वहीं इस वेबीनार की अध्यक्षता जेसीडी विद्यापीठ की प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा द्वारा की गई। इस वेबीनार के संयोजक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश रहे ने भी अपने विचार सांझा किए। इस दो दिवसीय वेबीनार में 4 हजार से भी अधिक प्रतिभागियों ने देश-विदेश से विभिन्न कॉलेजों से हिस्सा लेकर वक्ताओं के विचार सुनें व अपनी जिज्ञासाएं भी शांत की।

सर्वप्रथम डॉ. शमीम शर्मा ने इस वेबीनार के सभी वक्ताओं व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उनका आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य हमारे विद्यार्थियों को इस संकट की घड़ी में भी बेहतर से बेहतर ज्ञान प्रदान करवाना है इसीलिए वेबीनार का आयोजन करवाया जा रहा है। डॉ. शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी से लडऩे के लिए हमें एकजुटता से संस्कृति में निहित संस्कारों को अपनाना होगा तभी हम इससे जीत पाएंगे। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच को साथ लेकर चलते हुए हमें अपने प्रति, समाज के प्रति व देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई विभिन्न गाइडलाइंस की अनुपालना करके कोरोना वायरस से बचाव संभव है।


अपने संबोधन में डॉ. सोनिकप्रीत ओलख ने युवा पीढ़ी से आह्वान किया की वो समाज को जागरूक करने में अग्रणि भूमिका निभाये। बुजुर्ग और बच्चों को घर से बाहर कम निकलने की सलाह दी। डॉ. ओलख ने कहा कि कोविड-19 के चलते विश्वभर में घर से कार्य संस्कृति का प्रचलन बड़ा है और इसी वजह से वास्तविक निजी बैठकों के स्थान पर टेक्नोलॉजी के विभिन्न प्लेटफार्म पर बैठकों का आयोजन विभिन्न संस्थानों द्वारा किया जा रहा है। इन बैठकों के दौरान शारीरिक गतिविधियां कम होने की वजह से केवल आंख और कान अधिक प्रयुक्त होते हैं इसलिए ऑनलाइन बैठक के दौरान बीच-बीच में आंखों और कानों को आराम देना चाहिए। उन्होंने कहा कि घर में रहकर नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। शिक्षाविदों को भी विद्यार्थियों को समय-समय पर मार्गदर्शन एवं परामर्श देना चाहिए ताकि विद्यार्थियों की ऊर्जा को सही तरीके से दिशा प्रदान की जा सके।

प्रोफेसर डॉ. रितु छिकारा ने टेक्नोलॉजी तथा शिक्षा के भविष्य विषय पर अपने संबोधन में कहा कि किस प्रकार युवा पीढ़ी तथा छोटे-छोटे बच्चे सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न प्लेटफार्म का उपयोग करके सूचनाएं ग्रहण करते हैं एवं अपने ज्ञान के अंदर वृद्धि करते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी तकनीक का प्रयोग करके खेल-खेल में अधिगम का कार्य भी करते हैं।  इस प्रकार तकनीक कहीं ना कहीं उन की सर्जन शक्ति को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है। उन्होंने कहा कि प्राध्यापकों को भी ऐसे स्मार्ट विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए तकनीकी रूप से सुदृढ़ होना होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में परंपरागत क्लासरूम्स का स्थान वर्चुअल क्लासरूम द्वारा लिया जाएगा और इन वर्चुअल क्लासरूम को अधिक से अधिक इंटरएक्टिव बनाने पर अनेक प्रकार के शोध आईटी कम्पनीज द्वारा किए जा रहे हैं।

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए जेएनयू जयपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एम.एम. गोयल ने कहा कि नमस्ते को गले लगाने और हाथ मिलाने की जगह स्वास्थ्य प्रोटोकॉल, सामाजिक (शारीरिक) दूरी के कारण कोविड के सकारात्मक प्रभाव के रूप में वैश्विक स्तर पर समझ लिया है जो भारतीयकरण के अंतर्राष्ट्रीयकरण हेतु एक अच्छा शगुन है। उन्होंने कहा कि भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड संकट के निहितार्थ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जी-7 में भारतीय समावेश के प्रस्ताव को भारतीयकरण के अंतर्राष्ट्रीयकरण के अवसर के साथ अर्थव्यवस्था को वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए एक अच्छा समाचार है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व स्तर पर विचार करके और स्थानीय स्तर पर ग्लोकलाइजेशन के रूप में कार्य करते हुए, आत्मनिहार भारत अभियान को आगे बढ़ाने में कूटनीतिक होने के लिए आक्रामक निर्यात उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। प्रोफेसर गोयल द्वारा समझाया गया कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने हेतु सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हमें स्ट्रीट स्मार्ट बनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था व स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों को हमें स्वयं ही सुधारना तथा अख्तियार करना है इसीलिए हम सब एकजुट होकर देशहित में कार्य करें।

डॉ. इंदिरा ढुल ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा पद्धति के प्रचलन में वृद्धि हुई है तथा लम्बे समय तक स्कूल, कॉलेज बंद होने के कारण विद्यार्थियों में मानसिक तनाव की सम्भावना भी बढ़ी है। जो विद्यार्थी टेक्नो सेवी नहीं है उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावकों को चाहिए कि यदि संभव है तो वे अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मुहैया करवाएं ताकि बच्चा प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने समय का सदुपयोग करके जीवन में आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक समय बिताना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है इसीलिए इस मीडिया का प्रयोग करने के लिए हमें समय निर्धारित करना चाहिए और सकारात्मक सूचनाओं का प्रसार इसके माध्यम से करना चाहिए। यदि हमें कोई गलत या तथ्य विहीन सूचना नजर आती है तो उसके अंदर भी संशोधन करना चाहिए ताकि समाज के अंदर अफवाह न फैले। ऑनलाइन संस्कृति में हमें आपने कार्य तथा आराम के घंटे में निर्धारित करने चाहिए और सूचनाओं के लिए विश्वसनीय सूत्रों पर ही निर्भर रहना चाहिए।

अंत में वेबीनार के संयोजक डॉ जयप्रकाश ने मुख्य अतिथि एवं अन्य वक्ताओं का इस वेबीनार से जुड़कर महत्वपूर्ण जानकारी सांझा करने के लिए आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद किया गया। उन्होंने कहा कि आज का युग तकनीकी युग है इसीलिए हमेंं अपने बच्चों को भी व स्वयं को भी इसके साथ चलना होगा अन्यथा हम पिछड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तकनीकी को तवज्जो देना अतिआवश्यक है परंतु हमें इसका आदि नहीं होना है क्योंकि रियल कक्षा में जो भावनात्मक ज्ञान प्रदान किया जाता है वह तकनीकी से सुगम तो हो गई है परंतु इसमें अनेक खामियां भी निहित है।

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